झांसी की सड़कों पर सुलगता गुस्सा: बिजली कटौती से तड़पते लोग, सड़क पर उतरे बच्चे-बुज़ुर्ग

झांसी की सड़कों पर सुलगता गुस्सा: बिजली कटौती से तड़पते लोग, सड़क पर उतरे बच्चे-बुज़ुर्ग
Anger simmering on the streets of Jhansi: People suffering due to power cuts, children and elderly people came out on the streets

भीषण गर्मी, घंटों बिजली गुल और प्रशासन की चुप्पी—झांसी में इन दिनों हालात ऐसे हैं कि लोग चैन से न दिन काट पा रहे हैं, न रात। बिजली कटौती ने झांसी के लोगों को इस कदर परेशान कर दिया है कि वे आधी रात को अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए।

झांसी में बीते करीब 15 से 20 दिनों से लगातार बिजली संकट बना हुआ है। तापमान 45 डिग्री के पार जा रहा है और ऐसे में जब घरों में पंखा भी न चले, तो लोगों का सब्र टूटना तय है। यही हुआ भी—बीती रात झांसी के कई इलाकों में लोग अपने बच्चों को लेकर मुन्नालाल पावर हाउस पहुंच गए। वहां सड़कों पर बैठकर उन्होंने बिजली विभाग के खिलाफ जमकर विरोध दर्ज कराया।

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कुछ लोग अपने बच्चों को तपती सड़कों पर चटाई बिछाकर सुला रहे थे, तो कुछ एटीएम मशीन के सामने ठंडी जगह की तलाश में लेटे हुए थे। ये नज़ारे झांसी के हर उस इलाके में दिखे, जहां बिजली ने 24 घंटे में मुश्किल से 6-7 घंटे ही साथ दिया।

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लोगों ने बताया कि वे लगातार बिजली विभाग को एप्लीकेशन दे रहे हैं, पत्र भेज रहे हैं, लेकिन न कोई सुनवाई हो रही है और न ही कोई समाधान। अब तो हालात यह हो गए हैं कि घरों में बच्चे बीमार हो रहे हैं, पढ़ाई ठप है, नींद गायब है और गर्मी से हालत बेहाल है।

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एक प्रदर्शनकारी ने कहा—"हमारे बच्चे बीमार हैं। घर पर बिजली नहीं है। न पढ़ाई हो पा रही, न आराम मिल रहा। ऐसे में हम घर में रहें या सड़क पर, फर्क क्या है? कम से कम यहां तो कोई हमारी बात सुने।"

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एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा—"हम गरीब हैं, पंखा भी नसीब नहीं। अमीर लोग एसी में सोते हैं और हम चिलचिलाती गर्मी में अपने बच्चों को लेकर सड़क पर हैं। जब तक अधिकारी हमारी बात नहीं सुनेंगे, हम यही बैठेंगे।"

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लोगों का यह विरोध सिर्फ कुछ घंटों का नहीं था। कई परिवार पूरी रात सड़क पर बैठे रहे। कोई एटीएम के पास लेटा, कोई डिवाइडर के किनारे अपने बच्चों के साथ बैठा रहा। कई इलाकों की बिजली तो पिछले एक महीने से बेहद कम समय के लिए ही आ रही है। खासकर बीकेडी चौराहा, आतिया ताल, आशिक चौराहा और नई बस्ती जैसे इलाकों की हालत बेहद खराब है।

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हालात इस हद तक बिगड़े कि झांसी-ग्वालियर राजमार्ग तक जाम हो गया। लोगों ने बीच सड़क पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। भीड़ में कई महिलाएं थीं जो अपने बच्चों को लेकर रोड पर बैठ गईं। कुछ ने साफ कहा कि "जब तक कोई अधिकारी यहां नहीं आएगा, हम नहीं हटेंगे।"

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बच्चों की हालत देखकर स्थिति और भी भावुक हो गई। कोई 8 साल का बच्चा तपती सड़क पर बेसुध पड़ा था, तो कोई 10 साल का बच्चा अपने माता-पिता के साथ एटीएम के पास साया ढूंढ़ता हुआ बैठा था। लोग कह रहे थे—“हम भी इंसान हैं, कोई हमसे भी पूछे कि हम इस भीषण गर्मी में कैसे जी रहे हैं।”

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करीब 5 से 6 घंटे तक यह हंगामा चलता रहा लेकिन तब तक कोई बिजली विभाग का अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। जब स्थिति और बिगड़ने लगी, तो आखिरकार पुलिस उपाधीक्षक स्नेहा तिवारी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने लोगों को शांत कराने की कोशिश की और पुलिस बल के साथ मिलकर धीरे-धीरे स्थिति को काबू में लिया।

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स्नेहा तिवारी ने बताया—“यहां बिजली कटौती की समस्या को लेकर लोगों में नाराज़गी थी। हम मौके पर पहुंचे, समझाया और जाम खुलवा दिया गया। विद्युत विभाग के अधिकारी भी अब कार्रवाई का आश्वासन दे चुके हैं।”

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लेकिन सवाल अब भी वही हैं—क्या केवल आश्वासन से झांसी के लोगों की रातें ठंडी होंगी? क्या इन बच्चों को फिर ऐसी ही किसी रात सड़क पर सोना पड़ेगा?

झांसी जैसे ऐतिहासिक और विकासशील शहर में बिजली जैसी बुनियादी सेवा की ये हालत बेहद चिंताजनक है। आम लोगों की ज़िंदगी का पहिया थम गया है, और जब प्रशासन सुनवाई नहीं करता, तो यही होता है कि लोग सड़क पर उतरते हैं, और लोकतंत्र में यही उनका आखिरी रास्ता होता है।

अब देखना यह है कि क्या बिजली विभाग झांसी के लोगों की इस चीख-पुकार को गंभीरता से लेकर ठोस कदम उठाता है या फिर लोगों को इसी तरह सड़क पर अपने बच्चों के साथ लेटे रहने की मजबूरी झेलनी पड़ेगी।

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