जातिवादी मानसिकता का ज़हर: महोबा में दलित दंपती पर अत्याचार की दिल दहला देने वाली घटना

यह घटना उस वक्त की है जब एक दलित युवक सुनील अपनी नई नवेली दुल्हन को विवाह के बाद पारंपरिक रीति-रिवाज के तहत मंदिर लेकर जा रहा था। लेकिन गांव के ठाकुर समुदाय के कुछ दबंगों — दिलीप ठाकुर, भूपत ठाकुर, जीतू ठाकुर और बिटू ठाकुर — को इस बात से आपत्ति थी कि एक दलित दंपती उनके दरवाज़े से चप्पल पहनकर गुजर रहा है।
आरोप है कि इन दबंगों ने रास्ते में चारपाई डालकर उन्हें रोका और जातिसूचक गालियां देते हुए बर्बर तरीके से हमला कर दिया। सुनील के साथ आए उसके परिवार के सदस्य अजय और कल्ला को भी पीटा गया, और नई दुल्हन के साथ धक्का-मुक्की कर उसे अपमानित करने की कोशिश की गई। यह सब कुछ खुलेआम गांव में हुआ, जहां किसी ने भी हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं दिखाई।
घटना के बाद पीड़ित परिवार थाने पहुंचा, लेकिन उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। सुनील की बहन ने बताया कि पुलिस ने रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया और उल्टा पीड़ितों पर ही राजीनामे का दबाव बनाया जा रहा है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्हें लगातार धमकियां दी जा रही हैं और यहां तक कि रात में फायरिंग भी की गई। जब वे पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे, तब जाकर मामला थोड़ा संज्ञान में आया।
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इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि समाज में जाति आधारित भेदभाव और अत्याचार आज भी पूरी ताकत से मौजूद हैं। जब एक नवविवाहित दलित जोड़ा सिर्फ चप्पल पहनकर सड़क पर निकलने की वजह से अपमानित और पीड़ित होता है, तो यह पूरे तंत्र और समाज पर सवाल उठाता है।
अब देखने वाली बात यह है कि क्या प्रशासन पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में सफल होगा या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाएगा।