OPINION: अमित शाह ने कश्मीर में नए दौर को सशक्त करने का ही संदेश दिया

OPINION: अमित शाह ने कश्मीर में नए दौर को सशक्त करने का ही संदेश दिया
amit shah

अवधेश कुमार
गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू कश्मीर यात्रा ऐसे समय हुई जब प्रदेश को उनकी आवश्यकता थी तथा देश भी जानना चाहता था कि सरकार की नीति रणनीति क्या है. ऐसे समय जब हिंदुओं ,सिख ,गैर कश्मीरियों तथा भारत की बात करने वालों पर आतंकवादी हमले हो रहे हों, आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार मुठभेड़ जारी हो, कोई गृह मंत्री शायद ही जाने का फैसला करता. इसके पूर्व केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर था नहीं और न 370 से विहीन था. इस नाते उनकी यात्रा की तुलना किसी से की भी नहीं जा सकती. अगर तुलना हो सकती है तो स्वयं अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पैदा की गई उम्मीदें और दिए गए बयानों से. 

जिन लोगों को भी किंचित आशंका रही होगी कि अमित शाह या मोदी सरकार जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर थोड़े निराश होंगे या कुछ अनिश्चय भरी बातें करेंगे निश्चित रूप से उन्हें धक्का लगा होगा. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकारी अधिकारियों एवं पुलिस सहित सुरक्षा बलों के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में क्या बातें हुईं वह पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हो सकता. बावजूद जितनी बातें सामने आई उनसे सुरक्षा अभियान को ज्यादा सघन और व्यापक रूप से लक्षित किया जा रहा है. यह मानने का कोई कारण नहीं कि अमित शाह बगैरआगामी सुस्पष्ट योजना के आए होंगे. उनके हाव भाव और शब्दों में आत्मविश्वास और ओजस्विता की वही झलक थी जो लंबे समय से देश उनके अंदर देख रहा है.

यह भी पढ़ें: Aadhar Card Update: आधार कार्ड नहीं कराया अपडेट तो हो जाएगी मुश्किल! बच्चों के लिए है बहुत जरूरी

आप हम अमित शाह की राजनीति से सहमत असहमत हो सकते हैं, किंतु निष्पक्ष होकर विचार करेंगे तो मानना होगा कि जम्मू कश्मीर के संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो कदम उठाया उसने इतिहास न केवल बदला, बल्कि नया अध्याय लिख दिया. 5 अगस्त, 1919 को जब वे संसद परिसर में हाथों में कुछ प्रश्नों का कागज लिए प्रवेश कर रहे थे तो क्या किसी को रत्ती भर भी उम्मीद थी कि आज जम्मू कश्मीर और देश के लिए नासूर बने अनुच्छेद 370 की लीला समाप्त हो जाएगी? देश के जेहन में उसके पूर्व उठाए गए सुरक्षा के सख्त कदमों के साथ राज्यसभा औरलोकसभा में हुई बहस तथा मतदान के दृश्य लंबे समय तक ताजा रहेंगे. जिस ढंग से अमित शाह ने पूरे मामले को हैंडल किया, विपक्ष के सारे आरोपों का एक-एक कर उत्तर दिया तथा योजनानुसार 370 की मृत्यु का विधेयक पारित करा लिया वह अभूतपूर्व था. 

यह भी पढ़ें: Vande Bharat Metro लाएगी सरकार? लोकसभा चुनाव के बीच बड़ा दावा, जानें- क्या है प्लानिंग?

निश्चय ही देश और जम्मू कश्मीर में रुचि रखने वाले पाकिस्तान सहित कई देश प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह कब जम्मू-कश्मीर आते हैं. सबकी गहरी दृष्टि उनकी यात्रा पर लगी हुई थी.नरेंद्र मोदी सरकार, जम्मू-कश्मीर, देश तथा स्वयं अमित शाह के लिए यह यात्रा सामान्य नहीं हो सकती क्योंकि 370 निरस्त कराने के बाद वे पहली बार कदम रख रहे थे. यहां उन आंकड़ों में जाने की आवश्यकता नहीं है और न उन सबको गिनाना संभव है कि उनकी सरकार ने वहां समेकित विकास के लिए क्या क्या कदम उठाए हैं. कृषि से लेकर व्यापार, उद्योग ,निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा,कला -संस्कृति ,खेलकूद आदि सभी क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से प्रयास हुआ है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सारी नीतियों को न केवल क्रियान्वित करने में लगे हैं, बल्कि जमीनी अनुभव के अनुरूप अपने अधिकारों के तहत उसमें संशोधन परिवर्तन करते हैं या फिर आवश्यकता पड़ने पर केंद्र सरकार से ऐसा कराते हैं. 

यह भी पढ़ें: Vande Bharat Metro: देश मे इस रूट पर चलने जा रही वंदे भारत मेट्रो ट्रेन जाने समय और रूट

जम्मू कश्मीर में पिछले दो - ढाई वर्षो में आया परिवर्तन कोई भी देख सकता है. पाकिस्‍तान, सीमा के इस पार बैठे भारत विरोधी तथा आतंकवादी इसे ही  सहन नहीं कर पा रहे हैं. नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी आदि की बेचैनी इसीलिए है क्योंकि बदलाव जारी रहा तो राजनीतिक वर्णक्रम पूरी तरह बदल जाएगा. अमित शाह गृह मंत्री हैं तो भाजपा के नेता भी. बगैर राजनीतिक लक्ष्य कोई सरकार काम नहीं करती. उनका राजनीतिक लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब भाजपा और संघ के मुख्य लक्ष्य आतंकवाद का खात्मा ,कश्मीर में भारतीय राष्ट्र का उद्घोष, जम्मू के साथ कश्मीर में भी हिंदुओं, सिखों तथा अन्य गैर मुस्लिमों का पूरे भ्रमित माहौल में अपने धार्मिक सांस्कृतिक क्रियाकलापों के साथ सहज रूप में निवास करना पूरी होती दिखे. सुरक्षा को लेकर वर्तमान कठिन समय में गृह मंत्री इस दृष्टि से संकेत देने में अगर सफल रहे तो मान लेना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव की धारा वाकई अपने मुकाम तक पहुंचेगी. तो क्या माना जाए? 

ध्यान रखिए, जब वह जम्मू राज्य की एक सभा को प्रतिकूल मौसम में संबोधित कर रहे थे उसी समय पूंछ से लेकर दूसरे क्षेत्र में सुरक्षा बलों की आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ जारी थी. गृह मंत्री ने उसी स्वर को प्रतिध्वनित की जिसे उन्होंने 5 अगस्त ,2019 को राज्यसभा में गुंजित किया था. मोदी सरकार की जम्मू-कश्मीर नीति बहुआयामी है. सुरक्षा का माहौल,  हिन्दुओं, सिखों सहित गैर मुस्लिमों को भी विश्वास दिलाना कि रहने की स्थिति बन गई है,अलगाववाद और आतंकवाद की गतिविधियों से विरत करने के लिए शिक्षा ,संस्कृति, खेलकूद ,उद्यमिता आदि के लिए प्रोत्साहित करना, पंचायत स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त कर आम लोगों को सच्चाई का एहसास कराना, प्परंपरागत राजनीतिक दलों को चुनौती देना, राजनीति की नई धारा को प्रोत्साहित करना, सुरक्षा का विश्वास दिलाना, जम्मू कश्मीर के बीच आर्थिक व प्रशासनिक संतुलन कायम करना आदि इनमें शामिल है .

सीमा पर भारत की आखिरी पोस्ट मकवाल सीमा पर अग्रिम इलाकों का दौरा और  बीएसएफ के बंकर में जाना, सीमा के गांव में बैठकर जनता से संवाद करना तथा श्रीनगर की सभा में बुलेट प्रूफ शीशा हटाकर लोगों कहना कि मैं आपके बीच बात करने आया हूं डरिए नहीं आदि सुरक्षा के प्रति सरकार की कठोरता और प्रतिबद्धता का संदेश देने तथा लोगों के अंदर सुरक्षा का विश्वास जगाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण था. गांदेरबल के प्रसिद्ध खीर भवानी मंदिर में पूजा अर्चना का संदेश भी स्पष्ट था.शाह ने सरकार के प्रयासों से गठित 4500  युवा क्लब के युवाओं से बातचीत करते हुए कहा कि विकास की जो यात्रा शुरू हुई है उसमें किसी को खलल नहीं डालने देंगे तथा आपको सहयात्री बनाने आया हूं. 

यहां उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का नाम लेने वालों को मैं बहुत कुछ कह सकता हूं लेकिन कहूंगा नहीं केवल यही कहूंगा कि बगल में ही पीओके है जाकर देख लें कि वहां क्या स्थिति है और यहां क्या. वास्तव में पाकिस्तान का राग अलापने वालों के लिए यही सीधा जवाब था और इसका वहां के युवाओं और लोगों पर कुछ न कुछ असर हुआ होगा. उसकी तुलना वहां शुरू होगी. जम्मू की सभा में अमित शाह अपने सहज रूप में थे जब उन्होंने वहां के राजनीतिक दलों पर हमला करते हुए कहा कि तीन दल मेरे से पूछ रहे थे कि क्या दोगे ,मैं तो हिसाब लेकर आया हूं लेकिन आपने 70 सालों में क्या दिया है उसका हिसाब जनता मांग रही है वह तो दीजिए.

3 परिवार से उनका मतलब जम्मू कश्मीर में शासन करने वाली कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी. फिर उन्होंने वो सारी बातें दोहराई जिनसे वहां के राजनीतिक दल और परंपरागत प्रशासन कटघरे में खड़ा होता है. यानी आम महिलाओं को पूरा अधिकार नहीं मिला ,शरणार्थी नागरिक नहीं बने, बाल्मीकि समुदाय, परंपरागत रूप से रहने वाले गुज्जर और दूसरी जातियों को जमीन तक खरीदने का अधिकार नहीं था और वह सब अब मिल रहा है. भाजपा और सरकार की नीति के अनुरूप उनकी यह घोषणा महत्वपूर्ण थी कि अब तीन परिवार से नहीं गांव में जीतने वाला सरपंच और पंच भी मुख्यमंत्री बन सकता है. उन्होंने गुर्जर लोगों की ओर देखते हुए कहा कि आप भी यहां के मुख्यमंत्री बन सकते हो.

इसके साथ उन्होंने अपने दो वायदे प्रखरता से दोहराया - एक -एक व्यक्ति यहां सुरक्षित होगा तथा जम्मू के साथ होने वाला अन्याय अब कभी नहीं दिखेगा.यानी दोनों क्षेत्रों का विकास समान होगा, दोनों को समान महत्व मिलेगा. उनके द्वारा यह साफ करना भी महत्वपूर्ण था कि परिसीमन के बाद चुनाव होंगे तथा आने वाले समय में पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा. यानी जो परिसीमन का विरोध करते हैं उनका असर नहीं होने वाला है और जो गलतफहमी फैला रहे हैं कि स्थाई रूप से केंद्र शासित प्रदेश रहेगा वह भी झूठ है. 

इस तरह उन्होंने वहां के लोगों को संदेश दिया कि आप डरिये नहीं, राजनीति में आइए ,आपको सुरक्षा मिलेगा , यहां के नेता आप बन सकते हैं. मीडिया में ये बातें चल रही थी लेकिन राष्ट्रीय स्तर के किसी नेता ने जम्मू-कश्मीर में आकर इस तरह की बातें नहीं की थी. इस नाते अमित शाह की यात्रा का महत्व जम्मू कश्मीर की दृष्टि से तो व्यापक होता ही है ,पाकिस्तान और उनके समर्थकों के लिए भी इसमें सीधा संदेश है. (यह लेखक के निजी विचार हैं.)

On
Follow Us On Google News

ताजा खबरें

UP में टूट जाएंगे गर्मी के सारे रिकॉर्ड? प्रचंड गर्मी से हाल होगा बेहाल! IMD के डेटा ने डराया
Retirement Scheme Plan: 22 हजार का करें निवेश और पाएं 2 लाख रुपये महीना, जानें- क्या है ये खास प्लान
यूपी के इस शहर में मिलेगा समुद्र किनारे का पूरा मजा, जानें कैसे जाएँ और कहां करें स्टे
LIC Lakhpati Scheme: 45 रुपये के निवेश से मिलेंगे 25 लाख रुपये! जानिए एलआईसी की यह स्कीम कितनी फायदेमंद
यूपी के इन 16 शहरों के सड़कों और नालियों को मिलेगी नई पहचान! जानिए आपको कैसे होगा फायदा!
UP Weather Latest Update: यूपी में के मौसम में 15 मई तक कोई बदलाव नहीं! जानें- आपके जिले का हाल
Basti के Rambagh स्कूल की ये Topper बनना चाहती है आईएएस अफसर बताया सफलता का राज
Basti में CBSE बोर्ड के टॉपर्स की मार्कशीट आई सामने, हिन्दी में 91, Science में 93, यहां देखें सब कुछ
Aditi Yadav Profile: मैनपुरी में संभाला मां डिंपल का प्रचार, कन्नौज में पिता अखिलेश के चुनाव को दी धार, जानें- अदिति के बारे में सब कुछ
बस्ती में मंगल ने दूर किया BJP का 'अमंगल', हरीश द्विवेदी को मिली बड़ी राहत
Vande Metro: यूपी के सात शहरों को मिलेगी वंदे मेट्रो! 2 घंटे की दूरी 45 मिनट में होगी पूरी
UP Weather Update: यूपी में लखनऊ समेत इन जिलों में हो सकती है बारिश, आंधी के भी आसार, IMD ने जारी किया अलर्ट
Basti Lok Sabha Election 2024: हरीश द्विवेदी के समर्थन में अजय सिंह, किया बड़ा दावा
Ayodhya News: मुलायम सिंह यादव की सरकार ने किया शिक्षकों के लिए काम
Moon Express: धरती नहीं अब चांद पर भी चलेगी ट्रेन? NASA ने बना लिया पूरा प्लान, जानें कैसे करेगा काम
विवादित बयान पर अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन ने जताया विरोध
Basti News: साहित्यिक योगदान के लिये डॉ. वी.के. वर्मा को तीन पुरस्कार
घर में बनाकर पीयेंगे ये जूस तो नहीं लगेगा हीट स्ट्रोक, कैंसर का भी खतरा हो सकता है कम
Basti की सियासत में फिर बड़ा उलटफेर! दयाशंकर बढ़ाएंगे हरीश की मुश्किल? ले सकते हैं बड़ा फैसला
यूपी को मिल रहा एक और एक्सप्रेस वे, बदल जाएगी इस इलाके की पूरी तकदीर और तस्वीर, तीन गुणा कम होगी दूरी