यूपी में जमीन रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी रोकने के लिए राज़्य सरकार की सख्त पहल
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प्रदेश में जमीन जायदाद धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए योगी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. भूमि की पहचान और स्वामित्व की पुष्टि करने के लिए यूनिक कोड का प्रावधान लाया गया है.
धोखाधड़ी को रोकने के लिए प्रदेश सरकार की नई पहल
यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री के पूर्व सत्यापन करने का निर्देश दिया है. सरकार ने जमीनों की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी रोकने के लिए यह रास्ता अपनाया है. इसके साथ-साथ विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों को भी जरूरत के आधार पर लिया जाएगा इस योजना में आधार को लिंक करने के लिए और पैन कार्ड मांगा गया है. इस पहल में फर्जी बैनामे को रोकने के लिए जमीन रजिस्ट्री से पहले सत्यापन कराकर आदेश दिया है जिससे पीड़ित व्यक्तियों को निर्बल और असहाय लोग इस धोखाधड़ी की चपेट में आने की उम्मीद नहीं होगी.
इसे लेकर वर्तमान और भविष्य में पैन कार्ड और आधार को भी रजिस्ट्री के समय लिंग करने को कहा गया है. राजस्व विभाग की टीम ने रजिस्ट्री करने के बाद खतौनी में नाम दर्ज करने के लिए सहयोग मांगी है. इस मामले को लेकर कमेटी बना दी गई है. इनमें अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन रिपोर्ट तैयार किया जाएगा और विभागीय मंत्री को सौंप दी जाएगी. अब प्रदेश में रजिस्ट्री के समय संपत्तियों के सत्यापन की व्यवस्था कानून लागू नहीं हुआ है. इसलिए धोखाधड़ी करके एक ही संपत्ति को कई लोगों के नाम रजिस्ट्री कर दिया जाता है. इसे लेकर दस्तावेज का इस्तेमाल किसी भी संपत्ति की धोखाधड़ी अब खत्म कर दी जाएगी विभाग को स्टंप के रूप में राजस्व मिलता रहता है इसलिए जांच की प्रक्रिया नहीं की जाती है अब इस प्रक्रिया में परिवर्तन आ चुका है रजिस्ट्री करने वाले संपत्ति पर मालिकाना अधिकार की जांच गंभीरता से होगी उत्तर प्रदेश में सालाना करीब 48 लाख संपत्तियों की रजिस्ट्री का रिकॉर्ड बना चुका है.
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भ्रष्टाचार में डूब चुका है कार्यालय के कामकाज
इस दौरान हरियाणा में स्टैंप विभाग और राजस्व एक ही है इसलिए वहां रजिस्ट्री के तत्काल बाद भूलेख पोर्टल पर मलिक का नाम दर्ज होता है. लेकिन उत्तर प्रदेश में पैन और आधार कार्ड के साथ सत्यापन करने का योजना बन चुका है. जमीन रजिस्ट्री के साथ संपत्ति को सेटेलाइट फोटो लगाने की योजना बनाई जा रही है. राज्य सरकार निबंधक कार्यालय में कॉरपोरेट ऑफिस की तर्ज पर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी. फ्रंट ऑफिस योजना के तहत इसका पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा. शुरुआती दौर में 100 कार्यालय में यह काम करवाने की भूमिका बनी है. अब प्रदेश में कुल 380 निबंधक कार्यालय स्थापित है.
इस दौरान जिसमें 48 नए निबंधक कार्यालय बनाए गए हैं. लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार उपनिबंधक कार्यालय की स्थिति बेहद खराब है. राज्य सरकार को स्टांप शुल्क के रूप में हर साल 40000 करोड रुपए देने की क्षमता इन कार्यालय के पास है लेकिन यहां की व्यवस्था पानी पीने की जगह, शौचालय का स्थान पूरे तरीके से भ्रष्टाचार में लिप्त है. इन कार्यालय को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के लिए विभाग की टीम ने फ्रंट ऑफिस योजना के तहत इस कार्य को पूरा करेगी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर काम करने की योजना की तैयारी बन चुकी है पी मोड की बात करें आने वाले दिनों में प्रदेश के कुछ जिलों में वकीलों द्वारा या भरम फैलाया जा रहा है कि सरकार निजीकरण करने के लिए तत्पर है.