यूपी में 13 साल से खराब इस सड़क के बदलेंगे दिन, 22 करोड़ रुपए की मंजूरी, नेताओं में श्रेय लेने की होड़
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जंगीपुर-आरीपुर मार्ग, जो पिछले 13 सालों से खराब हालत में है, अब जल्द ही अपनी स्थिति में सुधार देखने वाला है। इस 10 किलोमीटर लंबे मार्ग की मरम्मत के लिए सरकार ने लगभग 22 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। सड़क के चौड़ीकरण के लिए 25.11 करोड़ रुपये का एक एस्टीमेट तैयार किया गया था, जिसे सरकार को भेजा गया था। इस परियोजना के लिए अब तक 4 करोड़ 30 लाख 39 हजार रुपये का बजट प्राप्त हो चुका है।
इस विवाद ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है, क्योंकि दोनों ही पक्ष अपने-अपने समर्थकों को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सड़क के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों में भी उत्साह है, जो लंबे समय से बेहतर सड़क परिवहन की मांग कर रहे थे।
लावा मोड़ से जयंतीदासपुर, बाबूरायपुर, मानपुर नेवादा होते हुए शुभाखरपुर लावा चट्टी तक जाने वाली 10 किलोमीटर लंबी सड़क पिछले कई सालों से खराब स्थिति में है। यह सड़क, जो कि 2012 से जर्जर है, अब पूरी तरह से टूट चुकी है। मार्ग पर गड्ढों की भरमार है, जिससे वाहन चलाना बेहद कठिन हो गया है। सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि यहां केवल गिट्टी और मिट्टी ही नजर आती है, जिससे स्थानीय निवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अब इस सड़क की मरम्मत के लिए सरकार को 25.11 करोड़ रुपये का एक एस्टीमेट भेजा गया है। स्थानीय विधायक ने पिछले वर्ष सड़क पर धान की रोपाई करके अपनी आवाज उठाई थी, जिससे उन्होंने इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया। दूसरी ओर, एमएलसी भी इस समस्या के समाधान के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इस सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू होगा, जिससे क्षेत्र के लोगों को राहत मिलेगी और यात्रा की सुविधा में सुधार होगा।
गाजीपुर में 2015 में एक महत्वपूर्ण सड़क की मरम्मत को लेकर बड़ा हंगामा हुआ था। 13 अगस्त 2015 को, एक कॉलेज के प्रवक्ता ओम प्रकाश सिंह और छात्र नेता विवेकानंद पांडेय के नेतृत्व में, स्थानीय लोगों ने लावा, जंगीपुर-आरीपुर मार्ग पर तिराहे पर आमरण अनशन शुरू किया। यह अनशन तब शुरू हुआ जब लोगों ने इस मार्ग की खराब स्थिति के खिलाफ अपनी आवाज उठाई।
चौथे दिन, जब प्रशासन ने अनशनकारियों को जबरदस्ती उठाने की कोशिश की, तो वहां भारी बवाल मच गया। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया। इसके परिणामस्वरूप, प्रदर्शनकारियों ने पथराव करते हुए 2 रोडवेज बसों को नुकसान पहुंचाया।
इस आंदोलन के पश्चात, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सरकार ने 4 करोड़ रुपये की राशि जारी की। इस धन का उपयोग 4 किलोमीटर लंबी नाली और 10 किलोमीटर सड़क को निर्मित कराने के लिए किया जाना था। हालांकि, सड़क का आधा-अधूरा निर्माण तो किया गया, परंतु नाली का निर्माण अभी तक नहीं हुआ। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस धनराशि का दुरुपयोग किया गया है, और पैसे की बंदरबाट की गई है।
सड़क की स्थिति सुधारने के नाम पर कभी-कभार गिट्टी और मिट्टी डालने का काम किया जा रहा है, लेकिन यह समस्या का वास्तविक समाधान नहीं है। इस मार्ग पर हमेशा वाहनों का भारी दबाव बना रहता है, जिससे यातायात में लगातार बाधाएं आती हैं। स्थानीय निवासियों की मांग है कि प्रशासन इस समस्या के प्रति गंभीरता से ध्यान दे और सड़क और नाली के निर्माण को प्राथमिकता दे। उनका कहना है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे फिर से आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।