भारत मां का लाल सूरज सिंह यादव अमर रहे: शहीद को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब

भारत माता की जय… वंदे मातरम्… जय जयकार की गूंज जब पूरे गांव की दिशाओं में फैल रही थी, तब हर आंख नम थी, हर दिल भरा हुआ था। इटावा के ग्राम प्रेम का पुरवा का वीर पुत्र सूरज सिंह यादव आज पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन उसकी शहादत की गूंज हमेशा के लिए लोगों के दिलों में दर्ज हो गई।
जम्मू-कश्मीर के तंगधार सेक्टर में तैनात सूरज सिंह यादव 6 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक बड़े हादसे में शहीद हो गए। सेना उस रात एक सेंसिटिव पोस्ट पर अतिरिक्त सुरक्षा के तहत तैनात की जा रही थी। इसी दौरान अचानक एक सैन्य वाहन अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरा, जिसमें पांच जवान शहीद हो गए। इटावा का यह वीर सूरज सिंह भी उनमें शामिल था।
शहादत की खबर जैसे ही इटावा और आसपास के जिलों में पहुंची, मातम छा गया। हर कोई स्तब्ध था। 8 मई को जब पूरा देश पाकिस्तान को करारा जवाब दे रहा था, उस समय सूरज सिंह का पार्थिव शरीर सैनिक सम्मान के साथ उनके गांव लाया गया। "भारत माता की जय" और "सूरज सिंह अमर रहें" के नारों से गांव की फिजा गूंजने लगी।
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शहीद के अंतिम दर्शन के लिए भयंकर भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई उनकी एक झलक पाने को आतुर था। उनके अंतिम सफर में शामिल होने के लिए हजारों लोग एकत्र हुए। जब शहीद सूरज सिंह का जनाजा गांव की गलियों से निकला, तो हर आंख भर आई। उनकी पत्नी और बच्चों की हालत देख हर कोई अपने आंसू रोक नहीं सका।
35 वर्षीय सूरज सिंह यादव ने 2010 में भारतीय सेना में भर्ती होकर 15 वर्षों तक देश की सेवा की। वे सिक्स महार बटालियन से जुड़े थे और पिछले एक साल से जम्मू-कश्मीर के तंगधार जैसे संवेदनशील क्षेत्र में तैनात थे। शहादत के समय वे सैन्य गाड़ी से पोस्ट की ओर जा रहे थे, जिसमें चार जवान सवार थे। गाड़ी फिसलकर खाई में गिर गई। दो जवान मौके पर ही शहीद हो गए और दो घायल हुए। शहीद होने वालों में एक सूरज सिंह यादव थे और दूसरे सिपाही सचिन, जो महाराष्ट्र के निवासी थे।
सूरज सिंह के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक 12 वर्षीय बेटी और 8 वर्षीय पुत्र हैं। बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। पूरा गांव शोक में डूब गया, लेकिन साथ ही सूरज सिंह की बहादुरी पर गर्व भी हर किसी की आंखों में झलक रहा था।
शहीद सूरज सिंह के अंतिम संस्कार में प्रशासन के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे, जिनमें अपर जिलाधिकारी अभिनव रंजन, उपजिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारी शामिल थे। सूरज सिंह के शौर्य और कर्तव्यनिष्ठा की हमेशा सराहना होती रही है। वे अपने साहस और सेवा भावना के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
गांव प्रेम का पुरवा ही नहीं, पूरा इटावा और आसपास के इलाके सूरज सिंह की वीरता पर गर्व करते हैं। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी शहादत इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चुकी है। वे उन वीर जवानों में शामिल हो गए हैं जिनकी गाथा पीढ़ियों तक सुनाई जाएगी।
आज लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि सूरज सिंह यादव के परिवार का पूरा ध्यान रखा जाए। उनके बच्चों की शिक्षा, परिवार की आर्थिक सुरक्षा और भविष्य के लिए राज्य और केंद्र सरकार को कदम उठाने चाहिए। यह वही न्यूनतम सम्मान है जो इस बलिदान के बदले उन्हें मिलना चाहिए।
भारत मां के इस सच्चे सपूत को अंतिम सलामी दी गई। उनके पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुखाग्नि दी गई। उनके नाम की जयकारें गांव की हवाओं में देर तक गूंजती रहीं।
सूरज सिंह यादव अमर रहें।
भारत माता की जय।