अखिलेश यादव के पोस्ट से उठा नया विवाद: क्या ऑपरेशन सिंदूर पर उठ रहे हैं सवाल?

अखिलेश यादव अपने तीखे सवालों और सरकार को घेरने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं। इस बार उनका निशाना बना है हाल ही में सुर्खियों में आया ऑपरेशन सिंदूर, जिसे भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ अंजाम दिया था। बताया गया था कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को खत्म करना था।
पहलगांव में हुए आतंकी हमले के बाद से ही बदले की मांग उठ रही थी और इसी सिलसिले में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद भारतीय सेना ने प्रेस ब्रीफिंग में इसके कई सबूत भी साझा किए, लेकिन एक बड़ा विवाद तब पैदा हुआ जब यह चर्चा सामने आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद ही सीज फायर हुआ।
हालांकि भारत सरकार ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया और साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर और सीज फायर दोनों ही भारतीय सेना और सरकार के स्वतंत्र फैसले थे, इनमें अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं था।
इसी बीच अखिलेश यादव ने एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा:
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इस पोस्ट के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। एक पक्ष का कहना है कि अखिलेश यादव ऑपरेशन सिंदूर के प्रमाण मांग रहे हैं, जबकि दूसरा पक्ष मानता है कि वे अमेरिका की कथित मध्यस्थता को लेकर उठ रहे दावों की सच्चाई जानना चाह रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई।
एक्स यूजर सचिन राणा ने लिखा:
> "भारत सरकार फर्जी बाहरी दावों की बजाय तथ्य और कार्रवाई में विश्वास रखती है। जहां जरूरत होती है, वहां जवाब जमीन पर दिया जाता है, प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं।"
वहीं अभय प्रताप सिंह ने लिखा:
> "सर! आ गए सबूत मांगने? आपको बाहरी दावों पर भरोसा है या भारत के डीजीएमओ पर?"
इस पूरे मामले ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या अखिलेश यादव सच में सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, या फिर ये बयान राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है — इस पर राजनीति गर्म हो चुकी है।