बस्ती में ट्रैफिक पुलिस की मनमानी या गलती? भेज दिया 10,000 का चालान, चालक परेशान

बस्ती में ट्रैफिक पुलिस की मनमानी या गलती? भेज दिया 10,000 का चालान, चालक परेशान
बस्ती में ट्रैफिक पुलिस की मनमानी या गलती? भेज दिया 10,000 का चालान, चालक परेशान

उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान की बढ़ती संख्या ने आम जनता को परेशान कर दिया है। सभी एक ही समस्या का सामना कर रहे हैं. मनमाने चालान और पुलिस की लापरवाही.

व्यवहार और संवाद कौशल

वाहन चालकों का आरोप है कि ट्रैफिक पुलिस बिना किसी ठोस कारण के उनके चालान कर रही है. एक ही दिन में वाहन चालान किए गए जिससे चालक और उनके परिवार को आर्थिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा. यह भी देखा गया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मी खुद ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. वाहनों पर सीट बेल्ट नहीं लगाना और अन्य नियमों का उल्लंघन करना आम बात हो गई थी. प्रदेश में यात्रियों को मौके पर ही चालान का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

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जो उन्हें मानसिक और वित्तीय दबाव में डाल रहा है. पुलिस कर्मियों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने और नागरिकों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार के लिए नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. नागरिकों के लिए एक प्रभावी ऑनलाइन शिकायत प्रणाली स्थापित की जाए. जिससे वे अपनी समस्याओं को सीधे अधिकारियों तक पहुंचा सकें. चालान प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल रिकॉर्ड और ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाए. पुलिस कर्मियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी ट्रैफिक नियमों का पालन अनिवार्य किया जाए. ताकि आम जनता में विश्वास बना रहे.
 
बिना गलती के कटा 10 हजार का चालान

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ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान की प्रक्रिया को यदि नागरिकों के प्रति सम्मान और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए. तो यह न केवल यातायात व्यवस्था को सुधारने में मदद करेगा. बल्कि पुलिस.जनता संबंधों में भी सुधार होगा. बस्ती के गोटवा बाजार निवासी ओमप्रकाश गुप्ता को उस वक्त आश्चर्य हुआ जब उनके मोबाइल पर 10 हजार रुपए का ई-चालान आया. रविवार सुबह 8ः30 बजे वह अपनी बाइक से बसहवा बर्फ लेने गए थे. वापस आने के बाद उन्हें चालान का मैसेज मिला. ओमप्रकाश ने जब विभागीय पोर्टल पर चालान की जानकारी ली तो पता चला कि उन्होंने एम्बुलेंस और अग्निशमन जैसे आपातकालीन वाहनों को रास्ता नहीं दिया.

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चालान में लोकेशन बस्ती शहर के बरगदवा क्षेत्र दिखाई गई. ओमप्रकाश का कहना है कि वह उस दिन बस्ती शहर गए ही नहीं. वह सिर्फ बसहवा तक ही गए थे. उन्होंने प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की है. उनका कहना है कि विभागीय लापरवाही से आम लोगों को परेशानी हो रही है. ट्रैफिक पुलिस द्वारा मनमाने चालान आम जनता से दुर्व्यवहार और खुद नियमों के उल्लंघन जैसी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं. ऐसे में पुलिस कर्मियों को नियमित और व्यवहार.केंद्रित प्रशिक्षण देना समय की आवश्यकता बन गई है. यदि इन बिंदुओं को ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाए. तो न केवल पुलिसकर्मियों का व्यवहार सुधरेगा. बल्कि जनता और पुलिस के बीच भरोसे का पुल भी मज़बूत होगा.

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