अंडरपास के निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने एक्सप्रेस-वे का रुकवाया काम
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बलिया जिले में निर्माणाधीन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस.वे को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना के तहत कई महत्वपूर्ण संपर्क मार्गों को बंद किया जा रहा है. जिससे उनकी दैनिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं. ग्रामीणों ने इस मुद्दे को लेकर जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है.
अंडरपास की कमी से बढ़ी समस्याएँ
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस.वे के निर्माण के कारण 36 गांवों के लगभग तीन लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं. इन गांवों में शिवन टोला.नेक राय, टेंगरही.देवराज ब्रह्म, शुभनथई.देवराज ब्रह्म मोड़, चांदपुर.लालगंज, सोनबरसा.टोला सेवक राय.धतुरीटोला, मझौंवा.अघैला, रेवती.पचरुखिया, दया छपरा.नौका गांव जैसे प्रमुख संपर्क मार्ग बंद हो रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब दो साल पहले सर्वे किया गया था. तब अधिकारियों ने सभी मार्गों पर अंडरपास बनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अब केवल पांच स्थानों पर ही अंडरपास बनाए जा रहे हैं. जिससे लाखों लोगों को असुविधा हो रही है. मझौवां बैरिया थाना क्षेत्र के सुघर छपरा, केहरपुर, श्रीनगर, गंगौली, नवका गांव सहित कई गांवों के ग्रामीणों ने ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के सुघर छपरा-नवका गांव मार्ग पर अंडरपास की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया.
ग्रामीणों ने निर्माणाधीन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण को कार्य रोक दिया. श्रीनगर और नवका गांव के ग्रामीणों ने कहा कि अंडरपास न होने से गांव में आवागमन का रास्ता ही बंद हो जाएगा. मौके पर पहुंचे एसडीएम बैरिया आलोक प्रताप सिंह ग्रामीणों से शनिवार को पत्रक देने के लिए कहा है. एसएचओ बैरिया व रेवती मौजूद थे. इस मौके पर रवि प्रताप सिंह प्रधान नौकागांव, अवनीश सिंह, मुक्तेश्वर पासवान, विनय शंकर पांडेय प्रधान मून छपरा, रवि वर्मा, सरबजीत यादव आदि सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे. बलिया के सिंहपुर और एकौनी गांवों के किसान भी प्रभावित हो रहे हैं. उनका कहना है कि एक्सप्रेस.वे के निर्माण से उनकी कृषि भूमि दो हिस्सों में बंट जाएगी. जिससे लगभग 200 एकड़ भूमि पर कृषि कार्य प्रभावित होगा. किसानों ने जिलाधिकारी को पत्र सौंपकर अंडरपास बनाने की मांग की है. ताकि वे अपनी भूमि तक पहुँच सकें.
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किसानों की कृषि भूमि पर संकट
बलिया जिले का ददरी मेला एशिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है. जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं. एक प्रमुख मार्ग के बंद होने से श्रद्धालुओं को अतिरिक्त 4 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. इससे न केवल ग्रामीणों को बल्कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भी कठिनाई हो रही है. एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था, लेकिन जेसीबी, निर्माण में लगी बड़ी गाड़ियां और पानी के टैंकर को ग्रामीणों ने वहीं रोक दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके के कई गांवों की करीब एक लाख से ज्यादा की आबादी इससे प्रभावित हो रही है. उन्होंने साफ किया कि जब तक गांव के लिए अंडरपास नहीं बनाया जाएगा, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा.
गाजीपुर से मांझी तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य एनएचएआई की ओर से कराया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि डीपीआर बनाते समय विभाग के लोगों ने क्षेत्रीय जनता से संपर्क नहीं किया. ग्रामीणों का कहना था कि यह मार्ग एनएच-31 पर और सुरेमनपुर रेलवे स्टेशन को जोड़ने का काम करता है. एनएच-31 पर जाने के लिए दस किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ेगी. एक्सप्रेस-वे उनकी आजीविका चलाने वाली भूमि को भी दो हिस्सों में बांट रहा है। इससे गांव के लोग भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे. ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के कारण रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है. इससे स्कूली बच्चों, किसानों और महिलाओं की दिनचर्या प्रभावित हो रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उन्हें रास्ता नहीं दिया गया, तो वे भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे.