यूपी में घरौनी कानून को लेकर अपडेट, भेजा गया प्रस्ताव

यूपी में घरौनी कानून को लेकर अपडेट, भेजा गया प्रस्ताव
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उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में घरौनी कानून को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इस कानून का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि संबंधी विवादों को सुलझाना और भूमि के स्वामित्व को स्पष्ट करना है. सरकार ने इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए अध्यक्षीय अध्यादेश जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

अध्यादेश के जरिये लागू करने की तैयारी

घरौनी कानून का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के स्वामित्व और उपयोग संबंधी विवादों को सुलझाना है. इसके तहत भूमि के वास्तविक मालिकों की पहचान की जाएगी और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाएगी. यह कानून विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागू होगा जहाँ भूमि के स्वामित्व को लेकर अस्पष्टता है. घरौनी कानून को अध्यादेश के जरिये लागू करने की तैयारी है. इसी अध्यादेश के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के सर्वे और मालिकाना हक के लिए विधेयक लाया जाएगा. विधेयक में यह प्रावधान होगा कि

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सरकार दो साल तक इसमें कोई भी संशोधन अपने स्तर से कर सकेगी. राजस्व विभाग ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है, जल्द ही इस पर निर्णय हो सकता है. अब सरकार ने ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 का प्रारूप तैयार करवाया है. इसमें 2020 की अधिसूचना के सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है. साथ ही घरौनी पर किसी भी पक्ष को आपत्ति करने और दस्तावेज में संशोधन का अधिकार भी दिया जा रहा है. विधेयक की प्रक्रिया को विधानमंडल के माध्यम से पूरा करवाने में वक्त लगेगा. उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में सरकार इस विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने के अपने अधिकार का प्रयोग करेगी. बता दें, अध्यादेश को छह माह के भीतर विधेयक के रूप में सदन में रखने का प्रावधान है.

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क्या है घरौनी कानून

इस मामले में सरकार ने महसूस किया कि घरौनी कानून को तत्काल प्रभाव से लागू करना आवश्यक है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवादों का समाधान शीघ्र हो सके. इसलिए अध्यादेश के माध्यम से इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. घरौनी कानून को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने की प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवादों के समाधान के प्रति गंभीर है. हालांकि अध्यादेश की प्रक्रिया असाधारण होती है. लेकिन जब तत्काल कार्रवाई आवश्यक होती है.

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तो यह एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी वाले हिस्सों पर मालिकाना हक पहले राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था. इससे विवाद की स्थिति में दिक्कतें होती थीं. घर बनाने के लिए बैंकों से लोन भी नहीं मिल पाता था. इन दिक्कतों से पार पाने के लिए सरकार ने 8 अक्तूबर 2020 को ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी का सर्वे और घरौनी प्रबंधन नियमावली की अधिसूचना जारी की थी. लेकिन, यह नियमावली किसी अधिनियम के अधीन नहीं है. इसलिए मामले अदालतों में फंस रहे हैं.

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