यूपी में वसीयत और संपत्ति बटवारे को लेकर नए नियम, आदेश जारी
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उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वसीयत और संपत्ति बंटवारे को लेकर नया आदेश जारी किया है. जिसके तहत वसीयत बनाने और संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया पर अब शुल्क लिया जाएगा. इस निर्णय के माध्यम से सरकार ने इस प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने और राज्य के राजस्व में वृद्धि करने का प्रयास किया है.
क्या है नया आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में आदेश जारी किया है कि वसीयत बनाने के लिए एक निश्चित शुल्क लिया जाएगा. जो कि सरकारी दस्तावेज़ के रूप में पंजीकरण के दौरान लिया जाएगा. इसके अलावा संपत्ति के बंटवारे के समय भी एक शुल्क निर्धारित किया जाएगा. इस शुल्क का उद्देश्य न केवल राज्य के राजस्व में वृद्धि करना है. बल्कि संपत्ति के बंटवारे में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया को सुनिश्चित करना भी है. इस आदेश के अनुसार यूपी में वसीयत और संपत्ति के बंटवारे से संबंधित कार्यों को अब एक निश्चित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा. पंजीकरण कार्यालयों में इसके लिए एक अलग प्रक्रिया तैयार की जाएगी.
जिससे लोगों को सही मार्गदर्शन मिल सके. साथ ही इन कार्यों को लेकर समयबद्ध तरीके से निपटारा किया जाएगाए ताकि संपत्ति बंटवारे में कोई अड़चन या भ्रम न हो. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर छोटे-बड़े शहरों में संपत्तियों के बंटवारे और वसीयत के लिए अब एक समान शुल्क लिया जाएगा. नगर विकास विभाग इस संबंध में जल्द ही शासनादेश जारी करने जा रहा है. मौजूदा समय इसके लिए अभी सभी निकायों में अलग-अलग शुल्क लिया जा रहा है. गाजियाबाद नगर निगम में वसीयत के आधार पर संपत्ति के नामांतरण के लिए ₹5000 शुल्क लिया जाता है, जबकि लखनऊ नगर निगम में यही कार्य निशुल्क किया जाता है.
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वसीयत और संपत्ति बंटवारे की प्रक्रिया को सरल बनाना
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य प्रदेश में कानून व्यवस्था और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है. वसीयत और संपत्ति बंटवारे से जुड़े कार्यों को अब एक नई दिशा दी जाएगी. इस शुल्क के माध्यम से हम न केवल लोगों को कानूनी मदद देंगे. बल्कि प्रदेश के विकास में भी योगदान करेंगे. प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में वसीयत, बंटवारा और संपनि कर निर्धारण सूची में संशोधन, परिवर्तन की प्रक्रिया व शुल्क समान बनाया जाएगा. प्रस्तावित नई व्यवस्था से इस प्रकार की असमानताओं को समाप्त कर एक पारदर्शी व्यवस्था लागू की जाएगी. सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि राज्य के नागरिकों को कहीं भी, किसी भी जिले के नगरीय निकाय में एक समान सुविधा मिले.
मेरठ नगर निगम में संपत्ति के बंटवारे के नामांतरण के लिए संपत्ति के मूल्य का 3ः शुल्क निर्धारित है, वहीं प्रयागराज नगर निगम में यह शुल्क केवल 2000 रुपये है. फतेहपुर पालिका परिषद में वसीयत के आधार पर नामांतरण पर शुल्क 2000 रुपये और बदायूं में कोई शुल्क नहीं लिया जाता। नगर पंचायतों में भी अलग-अलग है. हालांकि इस आदेश के तहत शुल्क की राशि को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन अनुमान है कि यह राशि वसीयत बनाने और संपत्ति के पंजीकरण की प्रक्रिया की जटिलता और संपत्ति की कीमत के आधार पर तय की जाएगी. इससे पहले सरकार ने भूमि पंजीकरण और अन्य सरकारी दस्तावेज़ों के लिए भी शुल्क प्रणाली को लागू किया था. जो राज्य के राजस्व में वृद्धि का कारण बना था.