यूपी के इस डिपो को मिली 5 नई बस, इस रूट पर होगा राहत

उत्तर प्रदेश: कासगंज के डिपो को मिली 5 नई बसों की सौगात से सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी. इससे यात्रियों को अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और यात्रा पहले से ज्यादा सुविधाजनक होगी.
परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करने और यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिले के डिपो को अब 5 नई सरकारी बसें मिल चुकी हैं. इससे अब डिपो का कुल बस बेड़ा बढ़कर 98 बसों का हो गया है, जिसमें निगम की और अनुबंधित दोनों तरह की बसें शामिल हैं. यह न केवल डिपो के लिए बल्कि क्षेत्रीय यात्रियों के लिए भी राहत भरी खबर है, क्योंकि लंबे समय से लोग बसों की कमी से जूझ रहे थे. खासकर धार्मिक अवसरों, त्योहारी भीड़ और सहालगों के समय बसों की भारी मांग होती थी, जिससे यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता था.
शनिवार की शाम डिपो परिसर में 5 नई बसों के आगमन के साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों के चेहरों पर उत्साह साफ नजर आया. इन बसों की मांग डिपो प्रबंधन ने काफी पहले से कर रखी थी. मुख्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद अब जाकर यह बसें डिपो को सौंपी गई हैं. डिपो अधिकारी एआरएम ओम प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया कि इन नई बसों को अलीगढ़, आगरा, बरेली और अन्य भीड़भाड़ वाले मार्गों पर चलाया जाएगा. इससे दैनिक यात्रियों, विद्यार्थियों, कामकाजी लोगों और तीर्थयात्रियों को सीधे लाभ मिलेगा. यात्रियों को अब बार-बार बस बदलने या निजी वाहनों की ओर रुख करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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फिलहाल इन बसों के रूट तय नहीं किए गए हैं, लेकिन संबंधित विभाग जल्द ही विश्लेषण कर सबसे अधिक यात्रियों वाले मार्गों को प्राथमिकता देते हुए रूट निर्धारण करेगा. इसके लिए डिपो स्तर पर सर्वे भी शुरू किया जा चुका है, जिससे यह तय हो सके कि किस रूट पर बसों की सर्वाधिक आवश्यकता है. जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, नए रूटों पर नियमित संचालन शुरू कर दिया जाएगा.
ओम प्रकाश ने यह भी बताया कि डिपो लगातार परिवहन मुख्यालय से नई बसों की मांग कर रहा है, जिससे भविष्य में और भी बेहतर सुविधाएं यात्रियों को मिल सकें. उनके अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बसों की संख्या में स्थिरता बनी हुई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे बेड़े का विस्तार हो रहा है. नई बसों के शामिल होने से ग्रामीण क्षेत्रों के यात्रियों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि कई बार उन्हें बसों की कमी के कारण मुख्य सड़कों तक पहुंचने के लिए निजी साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है.