यूपी के इस नदी पर बनेगा रेल पुल, सर्वे शुरू

उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में यमुना नदी पर स्थित 160 वर्षों पुराने ऐतिहासिक रेलवे पुल की जगह अब एक नया, अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित दो लेन वाला पुल बनने जा रहा है. रेलवे बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए इसके लिए बजट भी स्वीकृत कर दिया है और सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले नगर प्रयागराज में अब एक ऐतिहासिक बदलाव की नींव रखी जा चुकी है. ब्रिटिश काल में वर्ष 1865 में निर्मित यमुना का रेलवे पुल, जो दशकों से देश के उत्तर-दक्षिण रेलवे यातायात को जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है, अब अपने अंतिम चरण में है. रेलवे बोर्ड ने प्रयागराज मंडल की ओर से प्रस्तुत प्रस्ताव को न केवल मंजूरी प्रदान कर दी है, बल्कि इसके निर्माण के लिए आवश्यक बजट भी आवंटित कर दिया गया है. इसके साथ ही रेलवे की एक विशेषज्ञ टीम ने नये पुल के निर्माण से पहले सर्वेक्षण का कार्य शुरू कर दिया है, ताकि निर्माण प्रक्रिया को व्यवस्थित और तेज़ी से आगे बढ़ाया जा सके.
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत प्रस्तावित नया पुल जीवन ज्योति अस्पताल के निकट से आरंभ होकर ईसीसी संस्थान के समीप से गुजरता हुआ यमुना के पार स्थित शुआट्स विश्वविद्यालय तक फैलेगा. अनुमान के अनुसार इसकी लंबाई लगभग 1.5 किलोमीटर होगी, हालांकि यह अंतिम आंकड़ा सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा. सर्वेक्षण में केवल पुल की लंबाई और स्थान का निर्धारण ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि उसमें निर्माण की लागत, ज़मीन अधिग्रहण, पर्यावरणीय प्रभाव, नदी के जलस्तर में संभावित बदलाव, और आस-पास के इलाकों पर इसके असर जैसी जटिलताओं को भी सम्मिलित किया गया है. विशेषज्ञों की मानें तो यह पुल प्रयागराज में रेलवे कनेक्टिविटी को नई दिशा देगा.
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यह नया पुल पारंपरिक तकनीकों से बिल्कुल अलग होगा. रेलवे ने इसे देश की सबसे उन्नत तकनीकों में से एक ‘स्फेरिकल बेयरिंग टेक्नोलॉजी’ से बनाने की योजना बनाई है. यह तकनीक पुल को न केवल अधिक लचीलापन प्रदान करती है, बल्कि इसे भूकंप, चक्रवात, अत्यधिक दबाव या विस्फोट जैसी आकस्मिक आपदाओं से सुरक्षित भी बनाती है. यह दो लेन का पुल होगा जिस पर दो ट्रेनों का एक साथ आवागमन सुचारु रूप से संभव होगा, जिससे न केवल यात्रा का समय घटेगा बल्कि ट्रैफिक दबाव में भी कमी आएगी.
प्रयागराज में वर्ष 2031 में प्रस्तावित महाकुंभ मेले को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने इस पुल को उसी वर्ष से पहले पूर्ण रूप से तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालु और पर्यटक प्रयागराज पहुंचते हैं, ऐसे में वर्तमान जर्जर पुल पर यातायात संभालना जोखिमपूर्ण हो सकता है. यही कारण है कि रेलवे इस पुल के निर्माण को एक प्राथमिकता मानते हुए कार्यदायी संस्था के चयन और निर्माण की प्रक्रिया में तेज़ी लाने की कोशिश में जुट गया है. इसके अलावा प्रयागराज से मुंबई मार्ग पर तीसरी रेलवे लाइन का निर्माण कार्य भी जोरों पर है, और इस पुल के बिना उस परियोजना की कनेक्टिविटी अधूरी रह जाती है. एडीआरएम संजय सिंह के मुताबिक यमुना पर नया पुल प्रयागराज के रेलवे ढांचे को मज़बूती देने वाला साबित होगा. उन्होंने कहा कि, “रेलवे बोर्ड से हमें स्वीकृति मिल गई है, और हम इसे आधुनिकतम इंजीनियरिंग तकनीक से बनाएंगे. सर्वेक्षण कार्य चल रहा है और जैसे ही रिपोर्ट तैयार होगी, निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.” उन्होंने यह भी बताया कि इस पुल से जुड़ी हर तकनीकी जानकारी और डिज़ाइन देश और विदेश के अनुभवी इंजीनियरों के परामर्श से तय की जा रही है ताकि किसी भी स्थिति में संरचना की मजबूती और स्थायित्व पर कोई समझौता न हो.
पुराने पुल की बात करें तो यह अंग्रेजों की बुनियादी योजनाओं का हिस्सा था, जो तत्कालीन समय में रेलवे विस्तार का प्रतीक था. इस पुल पर दो स्तरीय यातायात होता है:- ऊपरी हिस्से से ट्रेनें गुजरती हैं जबकि निचले हिस्से से छोटे वाहन जैसे कार और मोटरसाइकिल. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसकी भार क्षमता में भारी गिरावट आई है और प्रशासन ने बड़े वाहनों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी है. पुल के निर्माण से न केवल रेलवे नेटवर्क को मजबूती मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास, रोज़गार सृजन, और आपातकालीन सेवाओं की गति में भी अभूतपूर्व सुधार होगा.