यूपी में इन गाँव के भूमि का होगा अधिग्रहण, बनेगा फोरलेन हाईवे
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उत्तर प्रदेश में सड़क परिवहन अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ग्रीन फील्ड फोरलेन हाईवे परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य के विभिन्न हिस्सों को जोड़ना. यातायात की सुगमता बढ़ाना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है.
गांवों और मौजों के जमीन सर्वे में जुटी NHAI
एनएचआई ने भूमि अधिग्रहण के लिए प्रभावित किसानों और भूमि मालिकों के साथ संवाद स्थापित किया है. मुआवजे की राशि का निर्धारण सर्किल रेट के आधार पर किया जा रहा है. प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को उचित मुआवजा प्रदान किया जाएगा. और भूमि अधिग्रहण के बाद निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा. हमीरपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर से कबरई तक 118 किलोमीटर लंबे ग्रीन फील्ड फोरलेन हाइवे को लेकर अब भूमि अधिग्रहण करने की तैयारी एनएचएआई ने की है. इसके लिए ग्रीन फील्ड हाइवे की जद में आने वाले छप्पन गांव, मौजों की चिन्हित जमीन के सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है. यह ग्रीन हाइवे बनने से बुंदेलखंड की तस्वीर भी बदल जाएगी. इन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन से उत्तर प्रदेश में सड़क परिवहन अवसंरचना में महत्वपूर्ण सुधार होगा. जो राज्य के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगा.
डीएम घनश्याम मीना ने ग्रीन फीड फोरलेन हाइवे के रास्ते पड़ने वाले गांवों और मौजों की जमीन खरीदने और बेचने पर रोक लगा दी है. बताया कि रमईपुर से कबरई तक एक सौ अठारह किमी लम्बे ग्रीन फीड फोरलेन हाइवे बनाने के लिए गाटा संख्या के चयन के बाद भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू होगी. इसके बाद ग्रीन फीड फोरलेन निर्माण शुरू होगा। राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने बताया कि ग्रीन फोरलेन हाइवे में औद्योगिक गलियारा भी बनेगा. कानपुर के रमईपुर से कबरई तक एक सौ अठारह किमी लंबे नैशनल हाइवे को ग्रीन फीड फोरलेन हाइवे में तब्दील करने के लिए अब गांवों और मौजों के नक्शा, मानचित्र राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने तलब कर लिया है. हमीरपुर और महोबा के राजस्व डिपार्टमेंट ने ग्रीन फीड फोरलेन के रास्ते आने वाले गांवों व मौजों के नक्शे मुहैया करा दिए है. भूमि अधिग्रहण के लिए अब नक्शे और गाटा संख्या के आधार पर जमीन का चिन्हीकरण करने में एनएचआई जुट गई है.
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लंबे ग्रीनफील्ड फोरलेन हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण की तैयारी
यहां के पूर्व सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल और राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद के अलावा तमाम जनप्रतिनिधयों और व्यापारियों ने नेषनल हाइवे को फोरलेन बनाने के लिए बड़ी पहल की थी. भारत सरकार के निर्देश पर पिछले साल कानपुर- सागर नेशनल हाइवे के समानांतरण फोरलेन हाइवे बनाने के लिए एनएचआई ने सर्वे कराया था। लेकिन अब इस नेशनल हाइवे की दिशा बदल दी गई है. अब ये नेशनल हाइवे कानपुर के रमईपुर से कबरई तक बनेगा जिसे हमीरपुर के पश्चिम दिशा में यमुना और बेतवा नदियों में निर्माणाधीन फोरलेन पुलों से निकाला जाएगा.
उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश को जोड़ने वाले कानपुर-सागर नेशनल हाइवे में पिछले कई दशक से आए दिन खूनी हादसे हो रहे है. ये हाइवे बिना डिवाइडर का है जिसमें लगातार वाहन हादसे के शिकार बन रहे है. पिछले डेढ़ दशक में ही इस नेशनल हाइवे में करीब ढाई हजार लोगों की मौत हादसे में हो चुकी है जबकि हजारों लोग अपाहिज भी हुए है. कानपुर के रमईपुर से लेकर कबरई तक नेशनल हाइवे में हर रोज जाम भी लगता है, जिससे आम लोग बेहाल हो जाते है. दोनों राज्यों को जोड़ने वाला यमुना और बेतवा नदियों के पुल में भी रफ्तार का कहर लोगों पर बरपता है. कुछ साल पहले केन्द्र सरकार ने इस नेशनल हाइवे को फोरलेन में तब्दील करने के लिए हरी झंडी दी थी. बावजूद ये धरातल पर आज तक नहीं दिख सका.