यूपी में गोंडा से लखनऊ रूट पर बनेगा रेल कॉरिडोर
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रेलवे देश की जीवनरेखा मानी जाती है. लेकिन दिनों.दिन बढ़ती जनसंख्या और यात्रा की मांग के चलते ट्रेनों पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. ट्रेनों की समयपालनता यात्री सुविधाओं और माल ढुलाई सेवाओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. ऐसे में रेलवे विभाग ने एक नई पहल की है आर्टिबल कॉरिडोर इस कॉरिडोर के निर्माण से रेल मार्ग पर दबाव कम होगा. ट्रेनों की गति और संख्या में इजाफा किया जा सकेगा. और समग्र रूप से रेल व्यवस्था और अधिक कुशल बन सकेगी.
आर्टिबल कॉरिडोर से कम होगा ट्रेनों का दबाव
आर्टिबल कॉरिडोर एक विशेष रूप से तैयार किया गया वैकल्पिक रेलवे मार्ग है. जिसे प्रमुख रूटों से ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए बनाया जा रहा है. यह कॉरिडोर मौजूदा रेलवे नेटवर्क के समानांतर होगा और इसका उद्देश्य मुख्य मार्गों पर चल रही ट्रेनों को एक वैकल्पिक रास्ता देना है. इसमें मुख्य रूप से मालगाड़ियों और लंबी दूरी की यात्री ट्रेनों को डायवर्ट करने की योजना है. ताकि भीड़भाड़ वाले सेक्शन पर ट्रेनों की आवाजाही सुचारु हो सके. भारतीय रेलवे ने ट्रैक पर ट्रेनों का दबाव कम करने और सफर को आसान बनाने के लिए गोंडा से लखनऊ समेत चार रेलवे रूट पर आर्टिबल कॉरिडोर (रिंग रोड की तरह) बनाने का निर्णय लिया है.
इसके सर्वे कार्य के लिए भी रेलवे बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. जैसे.जैसे ट्रेनों की संख्या बढ़ी है. वैसे.वैसे मुख्य मार्गों पर जाम की स्थिति बनने लगी है. आर्टिबल कॉरिडोर के ज़रिए ट्रेनों को डायवर्ट किया जाएगा. जिससे मूल मार्ग पर ट्रेनों की संख्या घटेगी और संचालन अधिक समयबद्ध और व्यवस्थित हो पाएगा. अक्सर मालगाड़ियों को यात्री ट्रेनों के लिए रास्ता देना पड़ता है. जिससे माल परिवहन में देरी होती है. आर्टिबल कॉरिडोर के ज़रिए मालगाड़ियों को अलग रूट मिलने से वे तेज़ी से और बिना रुकावट के चल सकेंगी. जिससे लॉजिस्टिक सेक्टर को बड़ा फायदा होगा.
रेल यातायात को मिलेगी नई रफ्तार
कम ट्रैफिक का मतलब है कम रुकावट. इससे यात्री ट्रेनें समय पर अपने गंतव्य पर पहुंचेंगी. जो आम यात्रियों के लिए राहत की बात होगी. मौजूदा भीड़भाड़ वाले रूटों पर नई ट्रेनों को शुरू करना मुश्किल हो गया है. लेकिन आर्टिबल कॉरिडोर के चालू होने से नई ट्रेनों के लिए जगह बनेगी. जिससे रूट विस्तार और यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा. मालगाड़ियों की तेज़ और सुविधाजनक आवाजाही से उद्योगों को कच्चा माल और तैयार उत्पाद समय पर मिल सकेंगे. जिससे उत्पादन में तेजी आएगी. ट्रेनों के संचालन में देरी कम होने से ईंधन की बचत होगी और प्रदूषण भी घटेगा.
आर्टिबल कॉरिडोर के निर्माण और संचालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे. यह प्रोजेक्ट वर्ष 2031 तक पूरा होगा. इसके बन जाने के बाद राजधानी व बाराबंकी से गोंडा आने जाने वाली ट्रेनों का दबाव ट्रैक पर कम हो जाएगा. साथ ही यात्रियों को सफर जल्दी पूरा होने से राहत मिलेगी. रेलवे बोर्ड के अधिकारी शरद कुमार ने बताया कि रेलवे ट्रैफिक को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए यह कॉरिडोर काफी महत्वपूर्ण है. 170 किलोमीटर लंबे इस प्रस्तावित कॉरिडोर में लखनऊ से गोंडा, लखनऊ -बाराबंकी -अयोध्या, लखनऊ- सुल्तानपुर- वाराणसी, ऐशबाग- डालीगंज -सीतापुर सिटी रूट शामिल हैं.