यूपी के गाँव में भवन निर्माण को लेकर नए नियम! अब करना होगा यह काम

यूपी के गाँव में भवन निर्माण को लेकर नए नियम! अब करना होगा यह काम
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उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी भवन निर्माण के लिए नक्शा स्वीकृति अनिवार्य कर दी है. अब 300 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले मकान या कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए जिला पंचायत से मानचित्र पास कराना आवश्यक होगा. इसमें शहरी क्षेत्रों में पहले से लागू नियमों के समान ही प्रक्रिया होगी. इस कदम से निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और अव्यवस्थित निर्माण पर रोक लगेगी. नक्शा पास कराने के लिए निर्धारित शुल्क भी लागू किया गया है.

योगी सरकार ला रही नियम

भवन निर्माण के मानकों को तय करने में व्यावहारिक पक्ष को ध्यान में रखते हुए बनाई गई उपविधि को कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू करने से पहले 15 दिनों में आपत्ति और सुझाव मांगे गए हैं. 224 पेज की प्रस्तावित भवन उपविधि-2025 आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की वेबसाइट व आवास बंधु की वेबसाइट पर देखी जा सकती है. राज्य सरकार द्वारा ऩए सिरे से तैयार कराई गई भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के लागू होने पर प्रदेश में आवास एवं फ्लैट की कीमतें घट सकती हैं. कारण है कि प्रस्तावित भवन उपविधि से शहरी की महंगी जमीन पर कहीं अधिक निर्माण करने की अनुमति होगी. प्रस्तावित उपविधि के मानको से साफ है कि 60 वर्गमीटर तक कार्पेट एरिया वाले किफायती भवनों के एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) को बढ़ाया गया है. इसी तरह सेटबैक के क्षेत्रफल को काफी हद तक घटाने के साथ ही ग्राउंड कवरेज (भू-आच्छादन) की व्यवस्था को समाप्त किए जाने से 40 प्रतिशत तक ज्यादा निर्माण अब किया जा सकेगा. 15 मीटर तक ऊंचाई वाले भवनों के मामले में जहां अब पांच मीटर का ही सेटबैक जरूरी होगा. भवन निर्माण के तमाम तरह के कड़े मानकों में काफी हद तक छूट देने के साथ ही मानचित्र पास कराने से लेकर अनापत्ति हासिल करने की पूरी प्रक्रिया को सरल बनाए जाने से जहां भूखंड स्वामी को शोषण से निजात मिलेगी वहीं छोटे भूखंडों पर भी ज्यादा फ्लैट आदि बनाए जा सकेंगे. उपविधि में गाड़ियों की बढ़ती पार्किंग की समस्या से निपटने के भी इंतजाम किए गए हैं.

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पार्किंग की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पोडियम पार्किंग व मैकेनाइज्ड ट्रिपल-स्टैक पार्किंग की अनुमति दी जाएगी. चार हजार वर्गमीटर से बड़े भूखंड के लिए अलग से पार्किंग ब्लाक अनुमन्य होगा. अस्पतालों में एंबुलेंस और स्कूलों में बस पार्किंग व पिक एंड ड्राप जोन के लिए भी अलग से प्राविधान उपविधि में प्रस्तावित किए गए हैं. शापिंग माल के लिए 24 मीटर चौड़ी सड़क होने की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए प्रस्तावित उपविधि में 18 मीटर पर ही शापिंग माल बनाने की अनुमति देने की बात कही गई है. इसी तरह नौ मीटर चौड़ी सड़क बिना बेड वाले चिकित्सा प्रतिष्ठान तथा प्राथमिक विद्यालय खोले जा सकेंगे. सात मीटर चौड़ी सड़क पर उद्योग के अलावा हेरिटेज होटल बनाने की अनुमति होगी. जरूरतमंदों को कम दाम पर आवास उपलब्ध होंगे. विभागीय जानकारों का कहना है कि तेलंगाना-आंध्रप्रदेश में भवन निर्माण के मानकों में इसी तरह के बदलाव किए जाने के बाद हैदराबाद में मकान-फ्लैट की कीमतों में कमी देखी गई. वैसे तो 24 मीटर या उससे चौड़ी सड़क पर स्थित आवासीय भवन में ही व्यावसायिक सहित अन्य गतिविधियों(मिश्रित उपयोग) की अनुमति होगी लेकिन महायोजना में तय मिश्रित उपयोग 24 मीटर से कम चौड़ाई वाली सड़क पर भी उपविधि में प्रस्तावित किया गया है. प्रस्तावित उपविधि को लेकर किसी तरह के विरोधाभास के संबंध में स्पष्टीकरण के लिए प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन की अध्यक्षता में कठिनाई निवारण समिति भी होगी. सरकार का मानना है कि एफएआर व ग्राउंड कवरेज बढ़ाने व भवनों की ऊंचाई के प्रतिबंध को हटाने सहित अन्य मानकों में ढिलाई दिए जाने से मकान-फ्लैट आदि के मौजूदा मूल्य में कमी आएगी.

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जमीन पर बना सकेंगे मकान.फ्लैट, ऑनलाइन नक्शे होंगे मंजूर

बेहतर बुनियादी सुविधाओं के लिए गांव से शहरों की तरफ तेजी से होते पलायन के चलते शहरी क्षेत्र में आवासीय के साथ ही अन्य गतिविधियों के लिए भवनों की तेजी से मांग बढ़ रही हैं. मांग अधिक होने से जमीन की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं. महंगी जमीन से भवन-फ्लैट की कीमतों में भी इजाफा होता जा रहा है. इसको देखते हुए आवास एवं शहरी नियोजन विभाग का भी दायित्व संभाल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विभाग द्वारा 17 वर्ष पुरानी विकास उपविधि के स्थान पर नए सिरे से उपविधि को तैयार किया गया है. अब तक चिकित्सालय के लिए दो हेक्टेयर भूमि चाहिए होती थी लेकिन अब तीन हजार वर्गमीटर के भूखंड पर ही चिकित्सालय व शापिंग माल को बनाया जा सकेगा. शैक्षिक भवनों के मामले में खेल के मैदान आदि की आवश्यकता का पालन करना होगा. शहर में कीमती जमीन होने से विभिन्न उपयोग के भवन निर्माण के लिए भूखंड के न्यूनतम क्षेत्रफल के मानकों में भी बदलाव किया गया है. अब तक जहां ग्रुप हाउसिंग के लिए दो हजार वर्गमीटर के भूखंड की अनिवार्यता थी वहीं अब पुराने शहरी क्षेत्र (बिल्टअप एरिया) में एक हजार वहीं अन्य क्षेत्रों में 1500 वर्गमीटर के भूखंड पर ग्रुप हाउसिंग की अनुमति होगी. इसी तरह बहु-इकाइयों के लिए 300 वर्गमीटर के बजाय 150 वर्गमीटर के भूखंड की ही अब आवश्यकता होगी. वहीं 51 मीटर से ज्यादा ऊंचे भवन में 16 के बजाय आगे 15 व पीछे 12 मीटर सेटबैक ही छोड़ना होगा.

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बड़े भवनों के लिए 300 प्रतिशत तक एफएआर बढ़ने और ग्रीन-रेटेड भवनों के लिए सात प्रतिशत तक अतिरिक्त एफएआर के प्राविधानों से भी महंगी जमीन पर अधिकतम निर्माण किया जा सकेगा. एयरपोर्ट, संरक्षित स्मारक आदि के आसपास को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बनने वाले भवनों के मामले में अब ऊंचाई का प्रतिबंध भी नहीं रहेगा. गौर करने की बात है कि भवन निर्माण के लिए अब अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने में संबंधित विभाग हीला-हवाली नहीं कर सकेंगे. अगर किसी विभाग ने तय अवधि में एनओसी नहीं दिया तो समय गुजरते ही डीम्ड अप्रूवल प्रणाली के तहत मान लिया जाएगा विभाग को कोई आपत्ति नहीं है. इसी तरह जहां 100 वर्गमीटर के आवासीय व 30 वर्गमीटर के वाणिज्यिक भवन के निर्माण के लिए किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं स्वीकृत लेआउट वाले क्षेत्रों में 500 वर्गमीटर के आवासीय व 200 वर्गमीटर के वाणिज्यिक भवन के निर्माण के लिए लाइसेंस प्राप्त आर्किटेक्ट द्वारा बनाए गए मानचित्र को विश्वास आधारित आनलाइन प्रक्रिया के तहत अनुमोदन दे दिया जाएगा. पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था होने पर घर के 25 प्रतिशत तक के एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) का इस्तेमाल डाक्टर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, वास्तुविद आदि आफिस खोलने में कर सकेंगे. इसी तरह नर्सरी, क्रैच व होमस्टे के लिए भी अलग से मानचित्र पास कराने की आवश्यकता नहीं होगी.

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