उत्तर प्रदेश के वृंदावन में कॉरिडोर निर्माण से मचा हड़कंप, दुकानदार क्यों नाराज़?

बांके बिहारी मंदिर के पास स्थित पेड़े की दुकान चलाने वाले अंशुल सारसत का कहना है कि यह कॉरिडोर स्थानीय लोगों के लिए नहीं बल्कि वीआईपी और वीवीआईपी के लिए बनाया जा रहा है। "काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकाल कॉरिडोर में भीड़ नियंत्रित नहीं हुई, यहां भी ऐसा ही होगा। आमजन को कोई लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि रोज़गार और धार्मिक विरासत का भारी नुकसान होगा।"
कॉरिडोर के निर्माण में 14 से 48 मकान और दुकानें प्रभावित होंगी। अंशुल ने बताया कि उनका पूरा परिवार इसी दुकान पर निर्भर है, और 30-40 हजार रुपये की मासिक कमाई से ही घर चलता है। "अगर दुकान गई तो सबकुछ खत्म हो जाएगा," वे कहते हैं।
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दूसरे दुकानदार विष्णु कहते हैं, "ये दुकान करीब 60-65 साल पुरानी है, हमारे बाबा यहां से बेचते थे, फिर पापा और अब हम। अगर दुकान हटी तो रोज़ी-रोटी पूरी तरह से छिन जाएगी।"
स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे ब्रज क्षेत्र में सैकड़ों मंदिर हैं, और कॉरिडोर निर्माण के चलते करीब 500 मंदिरों को नुकसान हो सकता है। "एक मंदिर को व्यवस्थित करने के लिए सैकड़ों मंदिरों को तोड़ना क्या उचित है?" यह सवाल लोग सरकार से पूछ रहे हैं।
कुछ लोगों ने यह भी मांग की है कि अगर सरकार दुकानें और मकान ले रही है तो उतने ही मूल्य की वैकल्पिक दुकानें दी जाएं — वो भी कॉरिडोर क्षेत्र के भीतर। वरना पूरा क्षेत्र उजड़ जाएगा और वृंदावन की पारंपरिक गलियां, मंदिर, और व्यापार खत्म हो जाएंगे।
कुल मिलाकर, बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर ज़मीन पर गहरा असंतोष है। स्थानीय जनता धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक संकट की आशंका में है, और यही कह रही है कि "हम ठाकुर जी के भरोसे हैं, बाकी कोई उम्मीद नहीं।"