सामूहिक विवाह में BJP की लूट? खाना देखकर मची भगदड़, अखिलेश यादव ने उड़ाया मज़ाक, Video वायरल

सामूहिक विवाह में BJP की लूट? खाना देखकर मची भगदड़, अखिलेश यादव ने उड़ाया मज़ाक, Video वायरल
BJP looted in mass marriage? Stampede after seeing food, Akhilesh Yadav made fun of it, video goes viral

वाराणसी से सामने आईं कुछ तस्वीरें और वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। ये नजारे किसी गली-मोहल्ले के भंडारे या गांव के भोज के नहीं हैं, बल्कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आयोजित एक बड़े सरकारी कार्यक्रम के हैं।

यह दृश्य न केवल कार्यक्रम की अव्यवस्था को उजागर करता है, बल्कि सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।

वाराणसी के हरहुआ इलाके में स्थित काशी कृषक इंटर कॉलेज में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत 193 जोड़ों की शादी कराई गई। इस मौके पर राज्य सरकार की ओर से स्टेट मिनिस्टर रविंद्र जायसवाल, अजगरा विधायक टी राम और एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा जैसे कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान मंच से सरकार की योजनाओं की प्रशंसा की गई, नवविवाहितों पर पुष्पवर्षा भी की गई, और खूब वाहवाही लूटी गई।

लेकिन जैसे ही कार्यक्रम का भोजन शुरू हुआ, पूरा माहौल एकदम से बदल गया।

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भोजन वितरण की व्यवस्था इतनी बदहाल थी कि खाने की लाइन में अफरातफरी मच गई। जिस तरह लोग खाने पर टूट पड़े, वो किसी लूट जैसे नजारे की तस्वीरें पेश कर रहा था। खाने के कूपन जरूर बांटे गए थे, लेकिन व्यवस्था इतनी कमजोर थी कि न तो समय पर खाना पहुंच पाया और न ही सभी को समान रूप से भोजन मिला।

किसी की थाली में पूरी थी तो सब्जी नहीं, कहीं सब्जी थी तो पूरी गायब। कुछ लोगों को चावल तो मिला लेकिन दाल नहीं। इससे हंगामे की स्थिति बन गई और कई बाराती व घराती खुद ही बर्तनों से खाना उठाकर ले जाने लगे। ये सब उस वक्त हो रहा था जब कार्यक्रम स्थल पर मंत्री और विधायक मौजूद थे, लेकिन व्यवस्था में लगे कर्मचारी नदारद हो गए थे।

इस शर्मनाक स्थिति का वीडियो लगभग 4 मिनट का है, जिसे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर शेयर कर दिया। वीडियो के साथ उन्होंने सरकार पर करारा कटाक्ष करते हुए लिखा —

"भ्रष्टाचार के लिए भाजपाइयों का पेट सुरसा के मुंह जैसा है। अब क्या कन्यादान का भी खा गए? यह तो प्रधान संसदीय क्षेत्र का हाल है।"

उन्होंने यह भी पूछा कि इस मामले की जांच कौन करेगा? वाराणसी वाले इंजन या दिल्ली वाले इंजन? यह सीधा-सीधा प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र पर निशाना था, जहां सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम की इस तरह की दुर्गति हुई।

इस वायरल वीडियो के बाद सरकार की फजीहत होना तय था। लेकिन अब तक कोई भी अधिकारी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। केवल इतना कहा जा रहा है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे कार्यक्रम केवल राजनीतिक शो ऑफ बनकर रह गए हैं?

सामूहिक विवाह योजना एक नेक पहल है, जिसका उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की शादी में सहयोग देना है। लेकिन जब ऐसे आयोजनों में अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और लापरवाही दिखती है, तो इसका असर सीधे उन परिवारों पर पड़ता है जो सरकार पर भरोसा करके अपनी बेटियों की शादी करवाते हैं।

इस पूरे घटनाक्रम से यह बात साफ हो गई है कि आयोजन केवल मंच और फूलों की सजावट से नहीं चलते। असली परीक्षा उस समय होती है जब हजारों लोगों को व्यवस्थित तरीके से संभालना हो, उन्हें सम्मानजनक तरीके से भोजन मिले, और किसी को अपमान का सामना न करना पड़े।

यह घटना केवल प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि यह एक पूरी योजना पर जनता के विश्वास को डगमगाने वाली स्थिति है।

अखिलेश यादव द्वारा इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना लाजमी है, क्योंकि इससे सरकार की नाकामी उजागर होती है। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि खुद सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।

अगर ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाती रहीं, तो यह योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह जाएंगी और जनता का भरोसा पूरी तरह से टूट जाएगा।

फिलहाल, प्रशासन की तरफ से जांच बैठा दी गई है। लेकिन यह भी देखने वाली बात होगी कि जांच निष्पक्ष होती है या केवल औपचारिकता निभाने के लिए की जाती है।

जब मामला प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़ा हो, तो जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। लोगों की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि दोषियों को सजा मिलती है या नहीं।

एक ओर जहां सरकार इस योजना को लेकर अपनी उपलब्धियां गिनवाती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे कड़वे अनुभव आम जनता के बीच नाराजगी और अविश्वास की भावना को जन्म देते हैं।

इस कार्यक्रम में नवविवाहित जोड़े जिस अपमान का अनुभव लेकर लौटे होंगे, उसकी भरपाई केवल जांच से नहीं हो सकती।

सवाल उठता है कि क्या हम भविष्य में ऐसी अव्यवस्था को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे? या हर बार एक वीडियो वायरल होने का इंतजार करेंगे?

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