योगी सरकार करेगी भू-माफियाओं का खात्मा! अब सीधे टॉप लेवल पर होगा एक्शन

उत्तर प्रदेश सरकार अब भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है। इसके लिए यूपी एंटी भू-माफिया के तहत कड़े नियम लागू किए गए हैं। इसका मतलब यह है कि अब भू-माफियाओं के लिए यूपी में कोई जगह नहीं है। प्रदेश में राजस्व परिषद ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनके अनुसार लेखपालों और राजनिरीक्षकों को मामले को टालने के बजाय अब सीधे उपजिलाधिकारियों के स्तर पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
इस पहल से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भूमि पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा न हो और लोगों को उनकी संपत्ति का सही हक मिले। इसके लिए सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अपनी जिम्मेदारियों का सही से पालन करें और भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
राजस्व परिषद ने पहले भी एंटी भू-माफिया के तहत कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए थे, जिसमें अब कुछ संशोधन किए गए हैं। नई व्यवस्था के अनुसार, एंटी भू-माफिया पोर्टल पर जब कोई शिकायत दर्ज की जाएगी, तो संबंधित एसडीएम के लॉगिन पर यह शिकायत स्वतः प्रदर्शित होने लगेगी। इससे शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी और भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकेंगे।
शिकायतों के सीधे मिलने से अब उन्हें तुरंत पोर्टल पर अपलोड करने की प्रक्रिया को भी सरल बना दिया गया है। इस संबंध में, राजस्व और पुलिस विभाग लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। शिकायतों के निपटारे के लिए तीन चरणों की व्यवस्था की गई है। एंटी भू-माफिया पोर्टल पर शिकायतें 8 अलग-अलग श्रेणियों में दर्ज की जाएंगी, जिससे समस्याओं का समाधान अधिक प्रभावी और त्वरित हो सकेगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जे के मामलों में कई तरह की शिकायतें सामने आई हैं। इनमें चकरोड, तालाब, खलिहान, चारागाह, और निजी आवासीय भूमि शामिल हैं। इसके अलावा, फर्जी बैनामे के आधार पर नामांतरण से जुड़ी शिकायतें भी दर्ज की जाएंगी। कृषि भूमि के पट्टे पर कब्जे के मामलों को भी इस सूची में शामिल किया जाएगा।
आबादी क्षेत्र में पानी निकासी और सार्वजनिक या निजी भूमि पर अन्य भूमिधर और सहखातेदारों द्वारा की गई शिकायतों को भी ध्यान में रखा जाएगा। एसडीएम अवैध कब्जे की भूमि पर एक सूची तैयार करेंगे, जिससे इन मामलों का समाधान तेजी से किया जा सके। यह नई प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देगी, बल्कि नागरिकों की समस्याओं का त्वरित निपटारा भी सुनिश्चित करेगी।