कोर्ट की अवमानना करने वाले अधिकारियों को योगी सरकार दे रही है प्रमोशन- रिहाई मंच
बांगरमऊ के बाद बुलंदशहर में आकिल की मौत पुलिस की सांप्रदायिक जेहनियत का नतीजा
लखनऊ. रिहाई मंच ने बाराबंकी के रामसनेहीघाट के एसडीएम दिव्याशु पटेल के प्रमोशन पर सवाल किया कि क्या उन्हें मस्जिद ढहाने के ईनाम के बतौर उन्नाव जिले का सीडीओ बनाया गया. मंच ने कहा कि इसके पहले भी योगी सरकार की एनकाउंटर पालिटिक्स को सहयोग करने वाले उनके चहेते आईपीएस अधिकारियों पर योगी सरकार मेहरबान रही है. यह भाजपा की राजनीति है इसीलिए इनके नेता माॅब लिंचरों के साथ दिखते हैं. इसपर आश्चर्य नहीं करना चाहिए कि कल उन्नाव के फैसल और बुलंदशहर के आकिल के हत्यारोपी पुलिस वालों का प्रमोशन हो जाए.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उन्नाव के बागरमऊ में फैसल की हत्या के बाद बुलंदशहर में आकिल की हत्या ने स्तब्ध कर दिया है. बुलंदशहर के खुर्जा थाना क्षेत्र के मुंडाखेड़ा में गोश्त विक्रेता आकिल को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम उनके घर गई थी. घर वालों का आरोप है कि पुलिस ने आकिल को छत से नीचे फेंक दिया जिससे इलाज के दौरान आकिल की जान चली गई. 23 और 24 मई की दरम्यानी रात को तकरीबन एक बजे पुलिस आई. आकिल की पत्नी शहाना का कहना है कि वो छत पर थीं, डर से कांप रही थीं, उनके सामने उन्होंने आकिल को लात मारी और छत से धक्का दे दिया. पुलिस ने उन्हें भी गाली दी और कहा कि तुम्हे भी फेंक देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिसवाले उनके पति से पैसे मांग रहे थे. वो मीट बेचते थे. पुलिसवाले हफ्ते-15 दिन में पैसा लेने आ जाते थे. उनके पति डरे होते थे और यह बात किसी को बताते भी नहीं थे. परिवार 24 से 27 मई के बीच आकिल को तीन अस्पतालों में इलाज के लिए ले गया था. 27 को दिल्ली के एक अस्पताल में आकिल की मौत हो गई.