यूपी के सभी जिलों में शुरू होगी यह बड़ी योजना, इस तरह मिलेगा लाभ
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यूपी में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'मुख्यमंत्री सुपोषण योजना' को जल्द लागू करने के निर्देश दिए हैं. इस योजना के माध्यम से बच्चों को पोषणयुक्त आहार देकर उनके संपूर्ण विकास को सुनिश्चित किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर सामाजिक सरोकार से जुड़ी एक बड़ी योजना को जमीन पर उतारने की तैयारी तेज कर दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों में कुपोषण की बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेते हुए 'मुख्यमंत्री सुपोषण योजना' के शीघ्र क्रियान्वयन का निर्देश दिया है. शनिवार को बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की गहन समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस योजना का उद्देश्य न सिर्फ बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है, बल्कि इसके माध्यम से सामाजिक असमानता, स्वास्थ्य जोखिम और शारीरिक विकास में बाधा जैसी समस्याओं का भी समाधान करना है. इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत विशेष रूप से उन बच्चों को लाभ मिलेगा जो समाज के हाशिए पर रहने वाले परिवारों से आते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 से 6 साल आयु वर्ग के बच्चों को प्रतिदिन प्रातःकाल में पौष्टिक नाश्ता दिया जाएगा, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास संतुलित रूप से हो सके. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह सुविधा आकांक्षात्मक ज़िलों, विकासखंडों और डॉ. भीमराव अंबेडकर जीरो पॉवर्टी मिशन के अंतर्गत चिह्नित परिवारों के बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर दी जाएगी.
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बैठक में सीएम योगी ने यह भी निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में टेक होम राशन (THR) की यूनिटें स्थापित की जाएं. वर्तमान में 43 जिलों में 204 इकाइयाँ कार्यरत हैं, लेकिन अब इसे राज्यव्यापी स्तर पर विस्तारित किया जाएगा. इन यूनिटों के माध्यम से तैयार किया गया पोषणयुक्त आहार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं तक पहुँचाया जाएगा, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायता मिलेगी. मुख्यमंत्री ने इस प्रणाली को पूर्ण पारदर्शी और गुणवत्ता-सम्पन्न बनाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि स्थानीय उत्पादकों और किसानों को भी इस योजना से जोड़ा जाए. उदाहरणस्वरूप, प्रतापगढ़ के आंवले, देशी गुड़, और पोषणयुक्त श्रीअन्न (मिलेट्स) को THR में शामिल किया जाएगा. इससे एक ओर बच्चों को पौष्टिक आहार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी.
कुपोषण के गंभीर रूपों जैसे स्टंटिंग (बौनापन), अंडरवेट (कम वजन), और वास्टिंग (अत्यधिक दुबला शरीर) की लगातार निगरानी के लिए जिला और राज्य स्तर पर विशेष सेल गठित करने का निर्देश भी दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को आपसी समन्वय के साथ काम करना होगा ताकि योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँच सके. गौरतलब है कि राज्य सरकार पहले से ही 'संभव अभियान' के अंतर्गत गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की चिकित्सा और देखभाल सुनिश्चित कर रही है, जिससे अब तक हजारों बच्चों को लाभ मिला है. अब 'मुख्यमंत्री सुपोषण योजना' के माध्यम से सरकार इस प्रयास को और अधिक प्रभावी और व्यापक बनाना चाहती है. इसी बैठक में मुख्यमंत्री ने 'मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना' का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि जिन निर्धन परिवारों के पास दूध देने वाला पशु नहीं है, उन्हें एक गाय प्रदान की जाएगी, जिससे वे न सिर्फ दूध प्राप्त कर सकें बल्कि अपने पारिवारिक पोषण स्तर को भी सुधार सकें. यह योजना ग्रामीण आजीविका को भी बढ़ावा देगी और पशुपालन को पुनर्जीवित करने का माध्यम बनेगी.