यूपी के इस जिले में शुरू हुआ चार लेन पुल का निर्माण, लाखों लोगों को होगा फायदा

यूपी के इस जिले में शुरू हुआ चार लेन पुल का निर्माण, लाखों लोगों को होगा फायदा
यूपी के इस जिले में शुरू हुआ चार लेन पुल का निर्माण, लाखों लोगों को होगा फायदा

उत्तर प्रदेश: लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों में एक, गोमती नदी पर बने 111 साल पुराने लाल पुल के समानांतर एक नया आर्च सेतु बनने जा रहा है, जिससे लाखों लोगों को यातायात में राहत मिलेगी. यह पुल आधुनिक तकनीक से बनेगा और वर्ष 2027 तक तैयार होने की उम्मीद है.

लखनऊ शहर में बीते कई दशकों से यातायात का मुख्य आधार रहे 'लाल पुल' के बगल में अब एक नया चार लेन का आर्च सेतु बन रहा है, जो शहर की रफ्तार को एक नई दिशा देगा. गोमती नदी पर लगभग 180 मीटर लंबे और 20 मीटर चौड़े इस पुल का निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू हो गया है. इस आधुनिक सेतु की ख़ासियत यह होगी कि इसके दोनों ओर फुटपाथ भी बनाए जाएंगे, जिससे पैदल यात्रियों को भी सुविधाजनक मार्ग मिलेगा. लगभग 92.89 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तैयार होने वाले इस सेतु को जून 2027 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. 4 मई रविवार को क्षेत्रीय विधायक डॉ. नीरज बोरा ने विधिवत भूमि पूजन कर परियोजना का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि 111 वर्ष पुराने 'पक्का पुल' पर भारी वाहनों के प्रतिबंध से आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही थी, जिसे ध्यान में रखते हुए नए पुल का निर्माण जरूरी हो गया था.

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इस सेतु के बन जाने से चौक, खदरा, मदेयगंज, फैजुल्लागंज, डालीगंज और त्रिवेणीनगर जैसे इलाकों की करीब 5 लाख से अधिक लोगों को जाम से राहत मिलेगा और आवागमन अधिक सहज हो जाएगा. यह पुल उसी आर्च संरचना पर आधारित होगा जैसे पहले का ब्रिटिश कालीन पुल था, लेकिन इसमें आधुनिक तकनीक और सामग्री का उपयोग किया जा रहा है.

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  • लंबाई: 180 मीटर
  • चौड़ाई: 20 मीटर
  • निर्माण लागत: 92.89 करोड़ रुपये
  • निर्माण पूर्णता की समयसीमा: जून 2027

डॉ. बोरा ने इस मौके पर इतिहास का भी उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1780 में नवाब आसिफुद्दौला ने गोमती पर पत्थरों से भव्य शाही पुल बनवाया था और उस पुल को पार करने के लिए आम नागरिकों से कर वसूला जाता था. 1857 की क्रांति के पश्चात जब अंग्रेजों ने अवध को अपने अधीन कर लिया, तो उन्होंने पुराने पुल को कमजोर मानते हुए उसे तोड़कर 1911 में एक नया पुल बनवाया. यह पुल 10 जनवरी 1914 को लॉर्ड हार्डिंग ने उद्घाटित किया गया, जो उस समय भारत के वायसराय थे. इस पुल को 'हार्डिंग ब्रिज' के नाम से भी जाना गया, हालांकि स्थानीय जनता के बीच यह 'लाल पुल' और 'पक्का पुल' नाम से प्रसिद्ध रहा. यह नया निर्माण न सिर्फ लखनऊ की ऐतिहासिक विरासत को आधुनिकता से जोड़ने वाला है, बल्कि आने वाले समय में शहर की यातायात व्यवस्था को भी नई दिशा देगा.

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