यूपी में इस रूट पर दोनों तरफ बनेगा बाउंड्रीवॉल, अंडरपास की संख्या भी 379 से बढ़ाकर हुई 453
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उत्तर प्रदेश में निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेसवे को पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल सड़क को सुरक्षित बनाना है, बल्कि वन्य जीवों को भी सुरक्षित रास्ता प्रदान करना है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावनाएं कम हों।
यूपी सरकार ने गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण को पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस परियोजना में केंद्र और राज्य स्तर के पर्यावरण संरक्षण संस्थानों द्वारा दिए गए सुझावों और दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। गंगा एक्सप्रेसवे के मार्ग में 3 प्रमुख पक्षी विहार भी स्थित हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे। इन विहारों को शोरगुल से बचाने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे, ताकि यहां के जीव-जंतु अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सकें।
ईको सेंसिटिव जोन के तहत सांडी बर्ड सैंक्चुरी हरदोई और समसपुर बर्ड सेक्चुरी रायबरेली, गंगा एक्सप्रेसवे से क्रमशः 4.6 किलोमीटर और 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। वहीं, उन्नाव के नवाबगंज में चंद्रशेखर आजाद बर्ड सेंक्चुरी एक्सप्रेसवे से 8.5 किलोमीटर दूर है। इन सभी क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान, रात के समय होने वाली रोशनी और शोर-गुल से इन संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए, एक्सप्रेसवे के मध्य में डिवाइडर के माध्यम से घने पौधों का रोपण किया जाएगा। इस ग्रीन बेल्ट के निर्माण से न केवल बर्ड सेंक्चुरी की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह स्थानीय पारिस्थितिकी को भी बनाए रखने में मदद करेगी।
एक्सप्रेसवे पर जंगली जानवरों के आने की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। इसके तहत जानवरों की सुरक्षित आवाजाही के लिए अंडरपास, ओवरपास और कल्वर्ट की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। पहले जहां ओवरपास की संख्या 179 निर्धारित की गई थी, अब यह बढ़कर 218 हो जाएगी, जिनमें से 158 का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है।
इसी प्रकार, अंडरपास की संख्या भी 379 से बढ़ाकर 453 कर दी गई है, और इनमें से 447 का निर्माण पहले से ही हो चुका है। इसके अलावा, बाक्स की संख्या को भी 784 से बढ़ाकर 796 किया गया है। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों को कम करना और जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करना है।
गंगा एक्सप्रेसवे पर पैदल चलने पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी। इस एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ हर 500 मीटर की दूरी पर ऑयल और ग्रीस ट्रैप स्थापित किए जाएंगे। इन ट्रैप्स के माध्यम से नदियों को प्रदूषण से बचाने में मदद मिलेगी, क्योंकि इससे कचरा और गंदा पानी नदियों में नहीं जा सकेगा। इस एक्सप्रेसवे को 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के लिए तैयार किया जा रहा है, लेकिन वाहन चालकों को केवल 100 किमी प्रति घंटे की गति से चलने की अनुमति होगी।
एक्सप्रेसवे का मुख्य मार्ग भूतल से 3.5 मीटर की ऊँचाई पर बनाया जाएगा। इसके दोनों तरफ 1.5 मीटर ऊँची बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाएगा, जिससे जंगली जानवरों का एक्सप्रेसवे पर आना संभव नहीं होगा। यह कदम वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वन्य जीवों के साथ होने वाले संभावित हादसों को टाला जा सकेगा। यूपी सरकार इस निर्माण कार्य को भारतीय वन्यजीव संस्थान के दिशा-निर्देशों के अनुसार करवा रही है, ताकि वन्य जीवों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जा सके। इस पहल से न केवल जंगली जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भी कमी आएगी।