ये गांव गोरखपुर और इससे सटे जिले महराजगंज, संतकबीरनगर, देवरिया, कुशीनगर, मऊ और आजमगढ़ की सीमा वाले हैं। इसके अलावा गोरखपुर की सात तहसीलों की सीमा से सटे 274 गांव भी चिह्नित हुए हैं, जहां सर्किल रेट में 200 फीसदी तक अंतर है। गोरखपुर और आसपास के जिलों के सीमावर्ती गांवों में सर्किल रेट को लेकर बड़ी असमानता पाई गई है।
सर्किल रेट में 300 फीसदी ज्यादा अंतर
सीमावर्ती जिलों के गांवों में सर्किल रेट में भारी असमानता मिली है। शासन के निर्देश पर हुई जांच में दो जिलों की सीमा से सटे 144 गांव मिले हैं, जहां 25 फीसदी से लेकर 300 फीसदी से ज्यादे सर्किल रेट का अंतर पाया गया है। शासन के निर्देश पर हुई जांच में यह सामने आया कि 2 जिलों की सीमा से सटे 144 गांवों में 25 से लेकर 300 प्रतिशत तक सर्किल रेट का अंतर है. इस भारी अंतर को संतुलित करने के लिए शासन ने समीक्षा की मांग की है. जांच के दौरान पता चला कि सबसे ज्यादा 43 गांव गोरखपुर और देवरिया की सीमा से लगे हुए हैं, जबकि सबसे कम 9 गांव गोरखपुर और कुशीनगर की सीमा से सटे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर की 7 तहसीलों की सीमा से लगे कुल 274 गांव ऐसे हैं, जहां सर्किल रेट में 200ः तक का अंतर पाया गया है. इसके बाद प्रशासन की ओर से रिपोर्ट भी मांगी गई है। इन गांवों में एक समान सर्किल रेट शासन स्तर से किया जाना है। शासन से पिछले दिनों सीमावर्ती क्षेत्रों के राजस्व ग्राम के मूल्यांकन दरों के तुलनात्मक विवरण की रिपोर्ट मांगी गई थी। साथ ही यह भी कहा गया कि जिलाधिकारी समीक्षा कर ऐसे राजस्व गांवों के सर्किल रेट को एक समान करेंगे। ज्यादा से ज्यादा 10 फीसदी का अंतर ही होना चाहिए। निबंधन कार्यालय की जांच में सबसे ज्यादा 43 गांव मिले हैं, जो गोरखपुर और देवरिया की सीमा से सटे हैं। जबकि सबसे कम गांव गोरखपुर और कुशीनगर की सीमा से सटे नौ हैं। शासन के निर्देश पर जिले की सीमा से सटे गांवों के सर्किल रेट का मूल्यांकन करा लिया गया है। जिले की सभी सातों तहसील की रिपोर्ट मिली हैए जिसे शासन को भेज दिया गया है। नया गोरखपुर बसाने को लेकर गोरखपुर विकास प्राधिकरण ;जीडीए की ओर से प्रयास तेज कर दिए गए हैं। जीडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर टीमें गांवों में जा रही हैं और किसानों के साथ बैठक कर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रही हैं। सर्किल रेट का चार गुणा तक क्षतिपूर्ति देने का प्रस्ताव किसानों को दिया जा रहा हैए लेकिन किसान इस दर पर जमीन देने से साफ इन्कार कर रहे हैं। कई गांवों के किसानों ने विकसित भूमि में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी व एक सरकारी नौकरी की मांग रखी है। जीडीए की टीमों की ओर से यह भी समझाया जा रहा है कि सहमति से जमीन नहीं देंगे तो अनिवार्य अर्जन की ओर कदम बढ़ाया जाएगा।
दो जिलों की सीमा से सटे 144 गांव
गोरखपुर के अलावा महाराजगंज, संतकबीरनगर, देवरिया, कुशीनगर, मऊ और आजमगढ़ की सीमा वाले गांवों में सर्किल रेट की भारी असमानता मिली है. प्रशासन इस अंतर को कम करने और दरों को संतुलित करने के लिए कदम उठा रहा है. सहायक महानिरीक्षक, निबंधन संजय कुमार दुबे ने कहा कि रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है और आगे की कार्रवाई शासन के निर्णय पर निर्भर करेगी. यदि सर्किल रेट में संशोधन किया जाता है, तो सीमावर्ती गांवों के निवासियों को जमीन खरीदने और बेचने में अधिक पारदर्शिता और समानता मिलेगी। शासन ने जिलों को निर्देश दिया था कि सीमावर्ती गांवों के सर्किल रेट का मूल्यांकन किया जाए और रिपोर्ट भेजी जाए. जिले की सभी 7 तहसीलों से प्राप्त रिपोर्ट को प्रशासन ने शासन को भेज दिया है. अधिकारियों के अनुसार, जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में सर्किल रेट को संतुलित करने के लिए अधिकतम 10ः का अंतर रखने का सुझाव दिया गया है। बढ़ती शहरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए नया गोरखपुर बसाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके लिए 60 गांवों में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। 25 गांव शहर के उत्तर दिशा में चिह्नित किए गए हैंए जबकि 35 गांव कुसम्ही एवं पिपराइच रोड पर हैं। इन गांवों में बाजार मूल्य अधिक है। सर्किल रेट का चार गुणा भी इसके आधे के बराबर भी नहीं आ रहा। ऐसे में किसान जमीन देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। जीडीए की टीमें एक गांव में दो.दो बार जाएंगी। जीडीए सचिव उदय प्रताप सिंह बुधवार को महराजगंज गांव में पहुंचे थे। वहां भी किसानों ने साफ तौर पर प्रस्तावित रेट पर जमीन देने से इन्कार कर दिया।