यूपी के इस रूट की एलिवेटिड सड़क इस महीने से होगी शुरू, गाड़ियों को मिलेगी रफ्तार
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दिल्ली-देहरादून इकॉनमिक कॉरिडोर के अंतर्गत दिल्ली से खेकड़ा तक की एलिवेटेड सड़क को मई महीने में आम जनता के लिए खोलने की तैयारियाँ जोरों पर हैं. निर्माण कंपनी ने यह जानकारी दी है कि सड़क और उससे जुड़े सभी छोटे-बड़े कार्य पूरे कर लिए गए हैं और इस संबंध में रिपोर्ट एनएचएआई को सौंप दी गई है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश के खेकड़ा क्षेत्र तक फैले इस एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण कार्य पिछले 7 महीनों में पूरा हो चुका था. यह लगभग 32 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड सड़क, जो अक्षरधाम से शुरू होकर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे तक जाती है, अब अपने अंतिम चरण में है. पहले यह केवल कुछ मामूली तकनीकी कारणों के चलते रुकी हुई थी जैसे कि पिलर और सड़क के बीच में लगाए गए करीब 60 शॉकर के खराब हो जाने की समस्या, जिसे ठीक करने में एक महीने से ज्यादा का समय लग गया. इसके अतिरिक्त भी कुछ फिनिशिंग टच और टेस्टिंग प्रक्रियाएँ बाकी थीं, जिन्हें अब पूरी तरह निपटा लिया गया है.
दिल्ली-देहरादून इकॉनमिक कॉरिडोर की यह सड़क उत्तर भारत के महत्वपूर्ण राज्यों और शहरों को आपस में जोड़ने वाली एक बड़ी परियोजना का हिस्सा है. इस मार्ग के चालू होने से उत्तर प्रदेश के बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और यहाँ तक कि उत्तराखंड तक जाने वाले वाहन चालकों को रोजाना सीधा और सुगम रास्ता मिलेगा. अब तक इन इलाकों से दिल्ली या गाजियाबाद पहुंचने के लिए ड्राइवरों को दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से होकर गुजरना पड़ता था, जहां लोनी सहित कई स्थानों पर सड़कों की खराब हालत और भीषण जाम की समस्या आम थी. लेकिन अब इस एलिवेटेड मार्ग के शुरू होने से इन सभी परेशानियों का समाधान मिल सकेगा.
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गौरतलब है कि इस सड़क के उद्घाटन को लेकर पहले भी कई बार कार्यक्रम तय किए गए थे, मगर कभी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तो कभी सांसद मनोज तिवारी के दौरे आखिरी समय में रद्द हो गए. इसके बाद विधानसभा चुनावों की वजह से भी उद्घाटन टलता रहा. हर बार कोई न कोई प्रशासनिक या तकनीकी अड़चन सामने आ रही थी, जिसकी वजह से सड़क को जनता के लिए शुरू नहीं किया जा सका.
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निर्माण कार्य की जिम्मेदारी संभाल रही कंपनी सीगल ने अब स्पष्ट कर दिया है कि सड़क, पिलर, शॉकर, फिनिशिंग, और अन्य सभी कार्य पूरे हो चुके हैं. रिपोर्ट के अनुसार सड़क का बुनियादी ढांचा मजबूत और यातायात के लिए तैयार है. एनएचएआई को सौंपी गई इस रिपोर्ट के आधार पर यह उम्मीद की जा रही है कि मई के पहले या दूसरे सप्ताह में इस सड़क को यातायात के लिए औपचारिक रूप से खोल दिया जाएगा.

जब यह सड़क चालू हो जाएगी, तो अनुमान है कि रोजाना करीब 60 हजार से अधिक वाहन चालकों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. वाहन दिल्ली, गाजियाबाद और लोनी तक आसानी से पहुंच सकेंगे और क्षेत्रीय ट्रैफिक पर दबाव भी कम होगा. खासतौर से उन यात्रियों के लिए जो रोजाना अप-डाउन करते हैं, यह एलिवेटेड कॉरिडोर समय की बचत और जाम से राहत की दिशा में बड़ा कदम होगा.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य न केवल दिल्ली और उत्तराखंड के बीच दूरी को कम करना है, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में यातायात व्यवस्था को भी सुचारु बनाना है. आने वाले समय में यह मार्ग औद्योगिक विकास, पर्यटन और व्यापारिक गतिशीलता को भी प्रोत्साहित करेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस कॉरिडोर की सफलता आने वाले वर्षों में दिल्ली-एनसीआर की ट्रैफिक व्यवस्था को नई दिशा दे सकती है.