पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने के लिए बना रोड मैप, सरकार बना रही ये तीन खास प्लान
Indus Water Treaty:

Indus Water Treaty: केंद्र सरकार दशकों पुरानी सिंधु जल संधि के विराम के बाद यह सुनिश्चित करने की योजना पर काम कर रही है कि पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी न मिले. सरकार इस फैसले को लागू करने के लिए तीन-स्तरीय रणनीति तैयार कर रही है, जिसमें अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपाय शामिल हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, ताकि भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया जा सके.
CNN NEWS18 के अनुसार मंत्री पाटिल ने मीडिया को बताया, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में एक रोडमैप तैयार किया गया. बैठक में तीन विकल्पों पर चर्चा की गई. सरकार अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों पर काम कर रही है ताकि पानी की एक बूंद भी पाकिस्तान न जाए. जल्द ही नदियों से गाद निकालने का काम किया जाएगा ताकि पानी को रोका जा सके और उसका रुख बदला जा सके.”
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1960 में विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई संधि को स्थगित करने का भारत का निर्णय पाकिस्तान द्वारा इसकी शर्तों का उल्लंघन करने, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी रखने के बाद आया है. भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को एक पत्र में संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान की कार्रवाइयां संधि के तहत भारत के अधिकारों को सीधे तौर पर बाधित कर रही हैं.
पत्र में क्या लिखा है?
पत्र में लिखा है, "किसी संधि का सम्मान सद्भावपूर्वक करने का दायित्व संधि के लिए मौलिक है. हालांकि, इसके बजाय हमने देखा है कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी है." यह साहसिक निर्णय जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे.
पत्र में निलंबन के कारणों में से एक के रूप में सुरक्षा अनिश्चितताओं का भी हवाला दिया गया है, क्योंकि उन्होंने संधि के तहत अपने अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग करने की भारत की क्षमता में बाधा डाली है.
संधि को निलंबित करने के अलावा, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए हैं, जिसमें पाकिस्तानी सैन्य अताशे को निष्कासित करना और अटारी भूमि-पारगमन चौकी को बंद करना शामिल है. ये कार्रवाइयाँ भारत के कड़े रुख को रेखांकित करती हैं, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान को इस निर्णय के बारे में औपचारिक रूप से सूचित कर दिया गया है.
क्या है जल संधि?
1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के वितरण को नियंत्रित करती है. जबकि भारत के पास पूर्वी नदियों- सतलुज, व्यास और रावी पर विशेष अधिकार हैं, पाकिस्तान पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब को नियंत्रित करता है. इस संधि को लंबे समय से भारत-पाकिस्तान संबंधों की आधारशिला के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन चल रहे तनाव ने अब इसके भविष्य का महत्वपूर्ण पुनर्मूल्यांकन किया है.
पाकिस्तान ने भारत द्वारा संधि को निलंबित करने का कड़ा विरोध किया है, चेतावनी दी है कि पानी के प्रवाह को रोकने के लिए कोई भी कार्रवाई 'युद्ध की कार्रवाई' मानी जाएगी.