यूपी में शिक्षकों के लिए बड़ी खबर, खत्म किए गए यह नियम
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उत्तर प्रदेश सरकार ने 104 साल पुराने शिक्षक भर्ती नियम में बड़ा बदलाव कर दिया है. इसके मुताबिक अब प्रदेश के सभी उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए अब सरकारी विद्यालयों जैसी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मान्य होगी. शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव किया गया है. राज्य सरकार ने 1921 के इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम को समाप्त कर दिया है. जो पिछले 104 वर्षों से शिक्षक भर्ती की अर्हता निर्धारित कर रहा था.
सरकार ने खत्म किए 104 वर्ष पुराने नियम
इस पुराने कानून के तहत कला विषयों के लिए लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स की सीनियर सर्टिफिकेट परीक्षा को मान्यता प्राप्त थी. जबकि बीएफए और एमएफए जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों को बाहर रखा गया था. इससे कई बार विवाद और कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. अब नए आयोग की ओर से भविष्य में होने वाली भर्ती में विवाद की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. सरकार ने प्रदेश के एडेड कॉलेजों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कर दिया है. जानकारी दे दें कि प्रदेश के सहायता प्राप्त हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में शिक्षक भर्ती के नियम 104 साल बाद बदले गए हैं.
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इसके मुताबिक, 4512 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए अब सरकारी विद्यालयों जैसी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य कर दी गई है. यूपी बोर्ड ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा था जिसको अब मंजूरी दे दी गई है. बोर्ड नियम को अगली भर्ती से लागू करने पर विचार कर रहा है. बता दें कि यूपी बोर्ड ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था कि 104 वर्ष पुराने इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के आधार पर टीजीटी-पीजीटी भर्ती करने के बजाए राजकीय स्कूलों में एलटी ग्रेड (असिस्टेंट टीचर) औप लेक्चरर की नियमवली के आधार पर चयन किया जाए. इसके बाद अब शासन ने बोर्ड के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया. नए नियमों के तहत शिक्षक भर्ती में शैक्षिक गुणांक को मेरिट में शामिल नहीं किया जाएगा. अब केवल लिखित परीक्षा के 90ः और साक्षात्कार के 10ः अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी. साक्षात्कार में न्यूनतम 40ः और अधिकतम 90ः अंक दिए जा सकेंगे. यह कदम भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
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यूपी में शिक्षक भर्ती नियमों में हुआ बड़ा बदलाव
आगे स्पष्ट किया गया कि 28 मार्च को जारी यूपी विशेष अधीनस्थ शैक्षणिक (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (द्वितीय संशोधन)नियमावली 2024 में राजकीय विद्यालयों में लेक्चरर भर्ती के लिए जरूरी योग्यता बीएड अनिवार्य कर दिया है. यही नियम एडेड कॉलेजों पर भी लागू होगा. हालांकि संशोधित नियमावली में होम साइंस, सिलाई, आर्ट, कॉमर्स और मिलिट्री साइंस में आवेदन के लिए अनिवार्यता से छूट रखी गई है यानी इन्हें बीएड की डिग्री की जरूरत नही होगी। वहीं, कला विषय के शिक्षक भर्ती में बीएफए आदि डिग्री को अब माना जाएगा. सबसे ज्यादा विवाद टीजीटी आर्ट में ही होता था,
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पुराने नियम में टीजीटी आर्ट में भर्ती के लिए लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स सीनियर सर्टिफिकेट परीक्षा जैसी डिग्री को मान्यता दी गई थी. यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने एक नोटिस जारी कर सूचना दी कि राज्य के अशासकीय मान्यता/सहायता प्राप्त संस्थाओं के टीचरों की नियुक्ति व पदोन्नति के लिए इंटरमीडिएड शिक्षा अधिनियम 1921 के अध्याय-2 के विनियम-1 के परिशिष्ट क में दिए गए न्यूनतम अहर्ताओं को बदलकर उसकी जगह अनुदानित हाईस्कूल असिस्टेंट टीचर की शैक्षिक योग्यताओं को और अनुदानित इंटरमीडिएट लेक्चरर की शैक्षिक योग्यताओं को राजकीय स्कूलों के टीचरों के लिए निर्धारित शैक्षिक अहर्ता के बराबर निर्धारित कर दिया है.