यूपी में स्कूलों और अभिभावक के लिए बड़ी खबर, इस उम्र के बच्चों को नहीं मिलेगा एडमिशन
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इतनी उम्र होने पर ही मिलेगा एडमिशन
आजकल शिक्षा और करियर की दिशा में बदलाव आ रहे हैं, फिर भी उम्र की सीमा कई क्षेत्रों में एक सवाल बनी हुई है. इस लेख में हम इस मुद्दे पर गहराई से चर्चा करेंगे और समझेंगे कि कैसे उम्र की सीमा छात्रों के शिक्षा के अवसरों पर प्रभाव डालती है. अब नए शैक्षिक सत्र 2025-26 में फिर ऊहापोह की स्थिति पैदा हो रही थी। ऐसे में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से मार्गदर्शन लेने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आयु सीमा तय कर स्पष्ट आदेश पहले ही जारी कर दिया गया है। मालूम हो कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कक्षा एक में हर साल करीब 40 लाख बच्चे प्रवेश लेते हैं। उच्च शिक्षा सरकारी नौकरियों और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्र की सीमाएँ पहले कड़ी थीं.
उम्र की सीमा, एक पारंपरिक अवधारणा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पिछले वर्ष एक अप्रैल तक ही छह वर्ष की आयु पूरी करने वाले बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश देने के आदेश दिए गए थे. स्कूलों को देर से आदेश भेजने के कारण इसका विरोध किया गया था. क्योंकि बड़ी संख्या में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के प्रवेश ले लिए गए थे. ऐसे में फिर बाद में संशोधित आदेश जारी कर इसे 31 जुलाई किया गया था. बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल की ओर से शुक्रवार को ऐसे बच्चे जो छह साल की उम्र 31 जुलाई को पूरा करेंगे उन्हें कक्षा एक में प्रवेश देने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र में अधिक से अधिक प्रवेश पर जोर दिया जाए। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में नामांकन बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाए। कई छात्रों के लिए शिक्षा के बाद के अवसर परिवार और आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर होते हैं। कई बार परिवार के दबाव के कारण बच्चे कुछ सालों तक अपनी पढ़ाई को छोड़ देते हैं और बाद में जब वे अपनी शिक्षा जारी करना चाहते हैं, तो उम्र की सीमा सामने आ जाती है।