UP: 13 गांवों के भूमि अधिग्रहण के लिए अपडेट, रेलवे को मिला यह पत्र
.png)
रेलवे नेटवर्क के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण रेलवे लाइन परियोजनाओं का कार्य चल रहा है. इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भूमि अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण कदम है. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया धीमी और जटिल होने के कारण कई परियोजनाओं में देरी हो जाती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में रेलवे विभाग ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं.
परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया की तेजी
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और तेजी से पूरा करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाया गया है. अब भूमि का मूल्यांकन, प्रस्ताव, और भुगतान का अधिकांश हिस्सा ऑनलाइन किया जाता है, इससे अधिकारियों को डेटा की तेज़ और सटीक जानकारी मिलती है और भूमि अधिग्रहण में होने वाली देरी को कम किया जा सकता है, जिले में आनंदनगर-महराजगंज-घुघली रेलवे लाइन परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, चयनित गांवों में भूमि अधिग्रहण का कार्य पूर्ण किया जा रहा है वहीं जिले में रेल लाइन निर्माण के लिए 29 गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से जारी है. अब तक अधिग्रहित भूमि के बदले किसानों को 29 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया जा चुका है. भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत कुल 698 गाटे और 3897 किसानों की 98.9394 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है।
13 गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और किसानों को मुआवजा भी दिया जा चुका है. वहीं, जिन गांवों की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसमें धरमपुर, घघरुआ खड़ेसर, लक्ष्मीपुर, विशुनपुर गबडुआ, हरपुर, अगया, घुघली खुर्द, रामपुर, बरवा विद्यापति, सिसवा बाबू, पिपराइच उर्फ पचरुखिया, मटकोपा और पिपरा मुंडेरी शामिल हैं। इन गांवों के प्रभावित किसानों से सहमति लेकर भूमि अध्याप्ति विभाग ने रेलवे विभाग को अधिकार प्रमाण पत्र सौंप दिया है. भूमि अधिग्रहण के दौरान पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की गई है. इस प्रणाली के तहत सभी संबंधित विभागों और प्राधिकरणों को एक ही स्थान पर बैठाकर कार्य किया जाता है. इससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में लगने वाले समय में कमी आई है.
डिजिटल तकनीक का उपयोग
भूमि अधिग्रहण के दौरान प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास के लिए ठोस नीति बनाई गई है। रेलवे विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रभावित परिवारों को मुआवजा मिलने में कोई देरी न हो। इसके साथ हीए पुनर्वास के लिए सरकारी योजनाओं को लागू किया गया हैए ताकि भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित लोगों को नया आश्रय मिल सके। सबसे पहले, अधिग्रहित भूमि का सीमांकन किया जाएगा, इसके बाद मिट्टी भराई और अन्य आवश्यक निर्माण कार्य प्रारंभ किए जाएंगे. इसके बाद रेल लाइन के दायरे में आने वाले पुलों और अंडरपास का निर्माण किया जाएगा. इसके बाद रेलवे लाइन बिछाने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी. भूमि अध्याप्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है शेष 16 गांवों में यह प्रक्रिया जारी है. जल्द ही अन्य गांवों की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी. इसमें 13 गांवों की अधिग्रहित भूमि का अधिकार प्रमाणपत्र भूमि अध्याप्ति विभाग की ओर से रेलवे विभाग को सौंप दिया गया है। जल्द ही इन क्षेत्रों में रेल लाइन बिछाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
जानकारी के अनुसार, जिले में प्रस्तावित नई रेलवे लाइन 52.70 किलोमीटर लंबी होगी, जो घुघली-महराजगंज-आनंदनगर को जोड़ेगी. इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है. पहले चरण में 29 गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से संचालित की जा रही है. इस सूची में पिपरा मुंडेरी, घघरुआ खड़ेसर, जोगिया, रामपुर बल्डिहा, मटकोपा, बरवा, चमैनिया, घुघली खुर्द, धरमपुर, विशुनपुर गबडुआ, पिपराइच उर्फ पचरुखिया, लक्ष्मीपुर, हरपुर, शिकारपुर, भिसवा, दरौली, बरवा विद्यापति, पड़री खुर्द, सिसवा बाबू, मनियार छपरा, रामपुर मजुहना, अगया, तरकुलवा, गौनरिया बाबू, कोदइला, बांस पार, बैजौली, सवना और पिपरदेवरा शामिल हैं.