बस्ती में सीएम योगी की उम्मीदों को झटका! घोटाले में फंसी चीनी मिल? कई पर एक्शन

उत्तर प्रदेश: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2019 में पुनः शुरू की गई मुंडेरवा चीनी मिल एक बार फिर सुर्खियों में है. परंतु इस बार किसी विकास कार्य को लेकर नहीं, बल्कि 12 करोड़ रुपये के एक विशाल घोटाले के कारण यह चर्चा का विषय बनी हुई हैं. यह घोटाला योजनाबद्ध तरीके से वर्ष 2021 से 2023 के मध्य में किया गया है, जिसमें मिल के उच्च अधिकारियों और एक निजी सिक्योरिटी सर्विस एजेंसी की मिलीभगत सामने आई है.
गन्ना विकास योजना के अंतर्गत बस्ती जनपद के 160 गांवों में किसानों के लिए उन्नत बीज, सिंचाई और कीट नियंत्रण जैसी सुविधाएं मुहैया कराए जाने की योजना थी. परंतु अधिकारियों और कानपुर की एक निजी सिक्योरिटी एजेंसी "लीनिंग सिक्योरिटी सर्विस" ने मिलकर कागजों में 430 गांवों में कार्य दिखा दिया. वास्तविकता यह है कि अधिकांश गांवों में न तो कोई कार्य हुआ और न ही किसानों को किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त हुआ. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश सचिव और गन्ना सहकारी समिति के पूर्व चेयरमैन दीवान चंद्र पटेल ने किसानों से मिलकर इस घोटाले की तह तक जाने का प्रयास किया. उन्होंने जब खुद पड़ताल की, तो पाया कि अधिकांश गांवों में कोई भी गन्ना विकास संबंधित कार्य नहीं हुआ था. उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत पहले सचिव से की, और बाद में सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी संपर्क साधा. मुख्यमंत्री के निर्देश पर 2024 में विभागीय जांच में तेजी लाई गई. 9 मई 2025 को इस मामले में पहली बड़ी कार्रवाई हुई. मुख्य गन्ना प्रबंधक कुलदीप द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया, जबकि मिल के पूर्व महाप्रबंधक बृजेंद्र द्विवेदी की पेंशन रोक दी गई. इसके साथ ही अन्य कई अधिकारियों को आरोप पत्र जारी कर दिए गए. मिल के पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट रवि प्रभाकर और वर्तमान में वित्तीय कारोबार की देखरेख कर रहे रूपेश कुमार मल्ल को भी घोटाले में शामिल पाया गया है. दोनों को भी आरोप पत्र जारी किए गए हैं. वहीं, परियोजना के प्रधान प्रबंधक एस.के. मेहरा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.
जांच में सामने आया कि 15 करोड़ रुपए का ठेका लीनिंग सिक्योरिटी सर्विस को बिना उचित प्रक्रिया के दिया गया था. कंपनी ने बिना जमीनी कार्य किए ही 430 गांवों में गन्ना विकास दिखाकर 12 करोड़ रुपए निकाल लिए. यह भुगतान मिल के जीएम और सीए की मिलीभगत से किया गया, जबकि गन्ना आयुक्त ने पहले ही इस पर रोक लगा दी थी. बची हुई 3.12 करोड़ रुपए की राशि पर अब रोक लगी हुई है. शासन स्तर से मिले पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोषियों से पूरी वसूली सुनिश्चित की जाएगी. इस पूरे मामले में हैरानी की बात तब हुई जब जिला गन्ना अधिकारी सुनील कुमार ने खुद किसानों को ही घोटाले का जिम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने कहा कि गलती किसानों की है, जो योजना का ठीक से पालन नहीं कर पाए. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि जिले में गन्ने की खेती में रुचि बढ़ी है और विभाग किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रहा है. किसानों के नाम पर हुए इस घोटाले ने प्रदेश की कृषि योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ग्रामीण इलाकों में नाराजगी साफ देखी जा रही है और किसान संगठन अब इस मामले की सम्पूर्ण जांच की मांग कर रहे हैं.