रोहित को कहा ‘मोटा’ तो मच गया बवाल! BJP नेता के जवाब से विरोधी रह गए दंग

रोहित को कहा ‘मोटा’ तो मच गया बवाल! BJP नेता के जवाब से विरोधी रह गए दंग
Rohit sharma par Bjp Neta ka jawab ka jawab

यह मामला क्रिकेट से कहीं आगे बढ़कर राजनीति तक पहुंच चुका है। भारतीय क्रिकेट टीम और विशेष रूप से रोहित शर्मा को लेकर जिस तरह की टिप्पणियां कांग्रेस नेताओं द्वारा की जा रही हैं, वह सिर्फ बॉडी शेमिंग या व्यक्तिगत आलोचना तक सीमित नहीं है। यह दर्शाता है कि कुछ राजनीतिक गुट भारत की किसी भी सफलता को स्वीकार करने में असहज महसूस करते हैं।

क्रिकेट से राजनीति तक – रोहित शर्मा पर निशाना क्यों?

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रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत ने टी20 वर्ल्ड कप जीता, 140 में से 100 मैच जीते, और वह दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक बन चुके हैं। ऐसे में उन पर सवाल उठाना सिर्फ उनकी लीडरशिप पर नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट की सफलता पर सवाल उठाने जैसा है।

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क्या कांग्रेस को भारतीय टीम की सफलता रास नहीं आ रही?

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क्या यह सिर्फ रोहित शर्मा पर हमला है, या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक सोच है?

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भारत की हर उपलब्धि से चिढ़ क्यों?

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कांग्रेस या उसके नेताओं ने भारत की किसी सफलता पर सवाल उठाए हों। चाहे वह सेना की सर्जिकल स्ट्राइक हो, चंद्रयान-3 की सफलता हो, या फिर अब क्रिकेट में भारत की जीत हो, एक खास गुट हमेशा आलोचना के लिए तैयार रहता है।

जब भारत ने पाकिस्तान को हराया, न्यूजीलैंड को हराया, तब भी यह खेमा खामोश नहीं रहा।

अब जब भारत ऑस्ट्रेलिया से भिड़ने जा रहा है, तो कप्तान की आलोचना शुरू कर दी गई।

क्या यह सिर्फ संयोग है, या इसके पीछे कोई खास एजेंडा काम कर रहा है?

रोहित शर्मा पर सवाल उठाने वालों को पहले खुद पर नजर डालनी चाहिए

जो लोग रोहित शर्मा की कप्तानी को ‘अनइंप्रेसिव’ कह रहे हैं, उन्हें पहले अपनी खुद की कप्तानी पर नजर डालनी चाहिए।

राहुल गांधी की 'कप्तानी' में 9 चुनाव हारने का रिकॉर्ड है।

दिल्ली में कांग्रेस 6 बार 'डक' पर आउट हो चुकी है।

ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान की आलोचना करना स्वयं की विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास लगता है।

क्रिकेट पर राजनीति क्यों?

भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, यह देश की भावना, गौरव और एकता का प्रतीक है। ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम या उसके कप्तान पर अनावश्यक राजनीतिक हमले करना दर्शाता है कि कुछ गुट देश की सफलता से ज्यादा अपनी राजनीति में रुचि रखते हैं।

अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस भारतीय क्रिकेट की उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है, या हर बार भारतीय सफलता पर सवाल उठाकर खुद को अलग-थलग करती रहेगी?

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