रोहित शर्मा पर ओवरवेट टिप्पणी: राजनीति और क्रिकेट को अलग रखना जरूरी
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रोहित शर्मा का रिकॉर्ड: जवाब उनके प्रदर्शन में है
क्रिकेट फिटनेस पर नहीं, प्रदर्शन पर टिका होता है
क्रिकेट इतिहास में कई दिग्गज खिलाड़ी हुए हैं, जिनका शरीर पारंपरिक रूप से "फिट" खिलाड़ियों जैसा नहीं रहा, लेकिन उनकी बैटिंग और कप्तानी का लोहा पूरी दुनिया ने माना। इंजमाम-उल-हक, अरविंदा डीसिल्वा, अरजुना रणतुंगा, और हाल के समय में वेस्टइंडीज के रहकीम कॉर्नवाल इसके उदाहरण हैं। अगर क्रिकेट में सिर्फ शरीर की फिटनेस ही मायने रखती, तो ये खिलाड़ी अपने देश के लिए इतने बड़े रिकॉर्ड नहीं बना पाते।
नेताओं को क्रिकेट पर ज्ञान देने से बचना चाहिए
यह आश्चर्यजनक है कि शमा मोहम्मद, जो खुद क्रिकेट से जुड़ी नहीं हैं, उन्होंने इस तरह की टिप्पणी की। एक क्रिकेटर का चयन उसके खेल कौशल के आधार पर होता है, न कि उसके शरीर के आकार पर। राजनीति से जुड़े लोगों को खेल के मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना चाहिए, खासकर तब जब उनके पास खेल की कोई विशेषज्ञता न हो। अगर यही सिद्धांत अपनाया जाए, तो क्या क्रिकेटर्स भी नेताओं के टिकट बंटवारे पर सवाल उठा सकते हैं? यह साफ दर्शाता है कि हर क्षेत्र की अपनी विशेषज्ञता होती है और उसमें बाहरी हस्तक्षेप सही नहीं है।
क्रिकेट को राजनीति से दूर रखना जरूरी
इस पूरे विवाद को अब राजनीतिक रंग देने की भी कोशिश हो रही है, जहां कुछ नेता इस टिप्पणी का समर्थन कर रहे हैं और कुछ विरोध कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या हमें खेल को राजनीति से जोड़ना चाहिए? क्रिकेट देश का गर्व है, और इस पर अनावश्यक विवाद खड़ा करने की बजाय हमें खिलाड़ियों की मेहनत और उपलब्धियों का सम्मान करना चाहिए।
रोहित शर्मा पर की गई टिप्पणी न केवल अनुचित बल्कि अनावश्यक भी है। उनकी फिटनेस और कप्तानी पर सवाल उठाने वाले पहले उनके रिकॉर्ड और टीम को मिली उपलब्धियों को देखें। हर खिलाड़ी का मूल्यांकन उसके प्रदर्शन से होना चाहिए, न कि उसकी शारीरिक बनावट से। राजनीति और क्रिकेट को अलग रखना ही सबसे बेहतर विकल्प है, ताकि खेल अपनी गरिमा बनाए रख सके।