यूपी के इस जिले में आज से नए वार्डों का हेलीकॉप्टर से होगा सर्वे
-(1)2.png)
उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर में शहरी भूमि विवादों पर लगाम लगाने और भविष्य की योजना को सटीक बनाने की दिशा में गोरखपुर में एक नई शुरुआत हुई है. अब शहर की हर एक संपत्ति का रिकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट में संजोया जाएगा. इसके लिए बुधवार से हेलिकॉप्टर के माध्यम से उन्नत तकनीकों का प्रयोग करते हुए हवाई सर्वे की शुरुआत की गई. यह कार्य भारत सरकार की ‘नक्शा परियोजना’ के तहत किया जा रहा है.
इस अभियान के तहत नगर निगम के 10 नवगठित वार्डों में हाईटेक हवाई सर्वे किया जा रहा है. इसका उद्देश्य हर मकान, दुकान, प्लॉट की सटीक स्थिति, उपयोग और स्वामित्व की जानकारी जुटाकर उसे डिजिटल मानचित्र में दर्ज करना है, जिससे भविष्य में न केवल भूमि विवाद कम हों, बल्कि टैक्स निर्धारण और शहरी योजना भी ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी हो सके.
एलएण्डटी कंपनी द्वारा संचालित इस अभियान में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिनमें लिडार, नादिर और ड्रोन कैमरा शामिल हैं. इन तकनीकों की मदद से जमीन की ऊंचाई, सीमाएं और अन्य भौगोलिक पहलुओं का भी अत्यंत सटीक आंकलन संभव हो रहा है.
हवाई सर्वे में पहले दिन 12 प्वाइंट्स को चिह्नित कर डेटा एकत्र किया गया, जबकि कुल 100 स्थानों पर यह कार्य किया जाना है. पूरा सर्वे 3-4 दिनों में संपन्न होने की संभावना है.
हालांकि यह सर्वेक्षण पहले शुरू किया जाना था, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर यात्रा के चलते हेलिकॉप्टर को उड़ान की अनुमति नहीं मिल पाई थी. उनके लखनऊ लौटने के बाद प्रशासन ने अनुमति प्रदान की और अभियान की शुरुआत हुई.
सर्वेक्षण में शामिल नगर निगम के 10 वार्ड इस प्रकार हैं:
- वार्ड 03: रानीडीहा
- वार्ड 06: खोराबार
- वार्ड 11: बड़गो
- वार्ड 13: संझाई
- वार्ड 30: गुलरिहा
- वार्ड 31: हरसेवकपुर
- वार्ड 37: भरवलिया
- वार्ड 39: गायघाट
- वार्ड 51: देवी प्रसाद नगर
इन क्षेत्रों के साथ-साथ पूरे गोरखपुर शहर का भी सर्वे किया जाएगा ताकि एकीकृत और अद्यतन भू-डेटा तैयार हो सके. इस योजना का लक्ष्य है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी क्षेत्रों में भी प्रमाणिक और डिजिटल भूमि अभिलेख मौजूद रहें.
नगर निगम ने इस कार्य के लिए 26 सर्वेक्षण टीमों का गठन किया है. साथ ही 52 डिप्लोमा और डिग्रीधारी इंजीनियरों की नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. प्रत्येक टीम में एक राजस्व विभाग का कर्मचारी और एक प्रशिक्षित सर्वेयर शामिल रहेगा. मकानों, दुकानों और प्लॉट्स का सर्वे होने के बाद 3 स्तरों पर डाटा का सत्यापन किया जाएगा.
अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह के अनुसार, हेलिकॉप्टर से पूरे शहर की हवाई तस्वीरें ली जा रही हैं. इसके बाद ग्राउंड टीम जाकर हर संपत्ति की बारीकी से जानकारी जुटाएगी और उसे GIS सिस्टम से जोड़ा जाएगा. इससे भविष्य की योजनाओं में न केवल गति आएगी, बल्कि योजना-निर्माण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी सुनिश्चित हो सकेगा.
गौरतलब है कि ‘नक्शा कार्यक्रम’ का पायलट प्रोजेक्ट देश के आठ नगर निकायों में शुरू हुआ है, जिनमें गोरखपुर और झांसी प्रमुख हैं. इस परियोजना से शहरी भू-प्रबंधन के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है, जिससे डिजिटल भारत की दिशा में एक और ठोस कदम उठाया गया है.