यूपी के बस्ती में रिंग रोड पर रस्साकसी, मुआवजे के लिए दौड़ रहे लोग
Basti: किसानों ने अपनी जमीनों के अधिग्रहण से जुड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। प्रदेश सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है और जनप्रतिनिधियों के वेतन बढ़ाने के लिए बजट का इस्तेमाल कर रही है, जबकि किसानों को मुआवजा देने के लिए सरकार के पास धन नहीं है। रिंग रोड का निर्माण शुरू होते ही काश्तकारों में मुआवजे को लेकर हलचल बढ़ गई है।
इसकी सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। फोरलेन सड़क बनाने के लिए 8000 काश्तकारों में से 70 प्रतिशत काश्तकारों का मुआवजा वितरित भी किया जा चुका है। काश्तकार हल्का लेखपाल से अधिग्रहित भूखंड में अंश निर्धारण की रिपोर्ट लगवाने में जुटे हैं। यह प्रक्रिया पूरी होते ही विशेष भूमि आधिपत्य कार्यालय में मुआवजे की पत्रावली जमा कर दी जा रही है। जिन भूखंडों पर बंटवारा, वरासत संबंधी मामला न्यायालयों में विचाराधीन है उन पर बात नहीं बन पा रही है।
ऐसे में काश्तकार मुकदमे की पैरवी में जुट गए हैं। अभी तक तमाम किसानों की बाहर रहने के कारण या अन्य वजहों से इसमें विशेष रुचि नहीं देखी जा रही थी, लेकिन इधर एक पखवाड़े से जैसे ही सड़क निर्माण की कवायद शुरू हुई काश्तकार चौकन्ना हो गए हैं। जिनके कागजात अधूरे हैं वह तहसील में दौड़ भाग कर दुरुस्त कराने में जुटे हैं। अभी लगभग 200 काश्तकारों में मुआवजे की धनराशि वितरित होनी है। विशेष भूमि आधिपत्य विभाग भी इसमें सक्रियता बनाए हुए हैं। प्रतिदिन 10 से 15 काश्तकारों के मुआवजे का प्रकरण निपटाया जा रहा है। इसमें हल्का लेखपाल से प्रस्तावित भूखंड के प्रत्येक गाटा में काश्तकारों का अंश निर्धारण कराने के बाद ही मुआवजा निर्धारित हो रहा है।