Basti Election 2022: टिकट के लिए दावेदारों की गणेश परिक्रमा तेज
Basti Vidhan Sabha Chunav : - लखनऊ से दिल्ली तक डाला डेरा - मकर संक्रांति के बाद पहली लिस्ट होगी जारी
-भारतीय बस्ती संवाददाता- बस्ती.
टिकट के लिए दावेदारों ने गणेश परिक्रमा तेज कर दी है. बड़े नेताओं की छत्रछाया पाने के लिए प्रयास तेज कर दिये गये है. वहीं पुराने संबंधों और क्षेत्र में किये गये संघर्षों की दुहाई दी जा रही है. राजनीतिक दलों के पुराने कार्यकर्ताओं द्वारा खुद को योग्य ठहराने के जतन किये जा रहे है. यहां तक कि दलों से जुड़े कार्यकर्ता दशकों तक पार्टी से वफादारी का इनाम टिकट के तौर पर मांग रहे है. मजे की बात टिकट की रेस में ऐसे भी दावेदार सामने आ रहे हैं जिनके साथ चलने के लिए दस लड़के भी नहीं दिखते. ऐसे में टिकट के लिए मचे मारामारी में बड़े नेताओं को धर्मसंकट का सामना करना पड़ रहा है.
बसपा ने इसमें बाजी मारते हुए सभी सीटों पर पहले ही प्रत्याशी उतार दिया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी से जुड़े दावोदारों में टिकट के लिए धड़कनें तेज है. हर सीट पर चार से दस दावेदारों की फौज अपने लिए टिकट की मांग कर रही है. खुद को सही साबित करने के चक्कर में दूसरे दावेदारों की पुरानी फाइलें तक खोली जा रही है. जिससे अपनों से ही अपनों को खतरा साफ देखा जा सकता है. जिले की हर्रैया सीट हो या कप्तानगंज विधानसभा, बस्ती सदर , महादेवा और रूधौली तक सीटिंग विधायकों को अपने ही दल के दूसरे दावेदारों से जूझना पड़ रहा है.
टिकट के लिए सभी दावेदारों ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक डेरा डाल रखा है. दावेदार अपनी कुण्डली लेकर हर उस दरवाजे पर पहुंच रहे है.. जहां उन्हें तनिक भी टिकट की आस दिख जा रही है. भाजपा और सपा मुख्यालयों पर टिकट के लिए लम्बी लाइन देखी जा रही है. वहीं कांग्रेस इस मामले में अब तक सबसे पीछे खड़ी देखी जा रही है. चुनाव तो दूर अभी वो सिर्फ वाकयुद्ध तक सिमटी नजर आ रही है. राहुल गांधी हों या प्रियंका गांधी दोनों वर्तमान समय में चुनावी मैदान से बाहर दिख रहे है. जिससे कांग्रेसी नेताओं के चेहरों पर मायूसी साफ देखी जा रही है. मकर संक्रांति के बाद दावेदारों की पहली लिस्ट जारी होगी. इसमें किसकों टिकट मिलेगा और किसे आश्वासनों का गट्ठर सब पता चल जाएगा.
इस बार भाजपा के पुराने फार्मूले पर चलते हुए सपा भी अंतिम समय में दावेदारों को टिकट देगी. हर सीट पर जातीय संतुलन साधने की कोशिश की जा रही है. मोबाइल तक ठीक से न चला पाने वाले नेताओं को वर्चुअल माध्यम से प्रचार करना होगा. जिससे उनके चेहरे की बेचैनी देखी जा सकती है.