होटल और रेस्टोरेंट के लिए योगी का मास्टर प्लान, सुप्रीमकोर्ट ने किया इस फैसले का स्वागत

होटल और रेस्टोरेंट के लिए योगी का मास्टर प्लान, सुप्रीमकोर्ट ने किया इस फैसले का स्वागत
Uttar Pradesh News

यूपी में राज्य सरकार ने कावड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को QR कोड लगाना अनिवार्य है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दिन मंगलवार को राज्य सरकार के फैसले को सही साबित करके बताया है कोर्ट ने कहा इसमें कुछ भी गलत फैसला नहीं लिया गया है. कावड़ यात्रा रूट पर सभी दुकानदार लाइसेंस तथा रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी नियमों का पालन अवश्य करें.

होटल और रेस्टोरेंट को करना होगा यह नियम

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सावन मास में चल रहा कावड़ यात्रा को लेकर नया नियम को लेकर महत्वपूर्ण आगाज किया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. राज्य सरकार ने फैसले पर कोर्ट के याचिकाकर्ता से कहा है कि हम अभी इस पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं क्योंकि QR कोड तथा इससे जुड़े अन्य मामले मुख्य याचिका में शामिल है जो कि कोर्ट में विचाराधीन है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की यहां टिप्पणी यूपी सरकार के पक्ष में अब मानी जा रही है.

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जिसमें राज्य सरकार का कावड़ यात्रा पर QR कोड अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है. अब इस दौरान अर्जी में  QR कोड प्रदर्शित करने के आदेश पर रोक लगाने की भी मांग की गई थी लेकिन कहा गया था कि QR कोड लगाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के पिछले वर्ष के अंतरिम आदेश के खिलाफ है विक्रेताओं को उनकी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

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जानिए दायर की गई याचिका में क्या है मामला

इस नियम को लेकर अर्जी में कहा गया था कि कोर्ट के आदेश को डर किनारे करते हुए अधिकारियों ने इसी साल नए निर्देश भी जारी कर दिए हैं जिसमें कावड़ यात्रा मार्ग पर सभी होटल और रेस्टोरेंट पर QR कोड प्रदर्शित करना अब अनिवार्य कर दिया गया है जिसमें मालिकों के नाम तथा पहचान का पता आसानी से चल पाएगा इस निर्देश के पीछे का उद्देश्य यह है कि तीर्थ यात्रा मार्ग का व्यक्त करता हूं कि धार्मिक पहचान को उजागर करने में आसानी होगी.

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इसी बीच याचिकाकर्ता अपूर्वानंद झा का ने बताया है कि सरकारी निर्देशों का कोई कानूनी आधार नहीं है जिसका उद्देश्य धार्मिक धुव्रीकरण तथा भेदभाव पैदा करना है अर्जी में आशंका भी जताई गई है कि इससे भीड़ हिंसा भड़क सकती है जिसमें अल्पसंख्यक वर्ग के दुकानदारों के खिलाफ हिंसा भड़क मानी जाएगी. अर्जी में यह भी कहा गया है कि कानूनी लाइसेंस से जरूर की आड़ में धार्मिक तथा जातिगत पहचान उजागर करने के निर्देश निजता के अधिकारों का उल्लंघन भी है.

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शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।