UP में पानी की किल्लत पर संसद में गूंज, खेती बचाने के लिए सरकार से मांगी वैकल्पिक फसलों और नई नीति की मांग

यूपी में पानी संकट पर संसद में गूंज, वैकल्पिक फसलों और नई नीति की मांग

UP में पानी की किल्लत पर संसद में गूंज, खेती बचाने के लिए सरकार से मांगी वैकल्पिक फसलों और नई नीति की मांग
Uttar Pradesh News

संसद के मानसून सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के बृज लाल राज्यसभा सांसद ने कृषि क्षेत्र में तेजी से बढ़ते जल संकट, खेतों की बिगड़ती उपज, और किसानों की आय को लेकर चिंता जताई। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि अब समय आ गया है जब जल संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए और किसानों को टिकाऊ व वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

लेस वॉटर, मोर बेनिफिट की सोच को अपनाने की जरूरत

सांसद ने सदन में कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे कृषि-प्रधान राज्य में अब भी अधिकांश किसान गन्ना और धान जैसी फसलों पर निर्भर हैं जो अत्यधिक पानी की मांग करती हैं। इससे भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और खेती की लागत भी बढ़ रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे समय में हमें किसानों को कम पानी वाली फसलों जैसे, दालें, तिलहन, मटर, मूंग, चना आदि की ओर प्रोत्साहित करना चाहिए, जो ना सिर्फ जल की बचत करेंगी, बल्कि बाजार में इनकी मांग भी अधिक है।

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तकनीकी उपायों का जिक्र

अपने भाषण में सांसद ने खेती में जल संरक्षण के लिए कई वैज्ञानिक और तकनीकी उपायों का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि खेतों में पानी की खपत को कम करने के लिए ड्रिप इरिगेशन यानी बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली को अपनाना जरूरी है, जिससे सीधे जड़ों तक पानी पहुंचता है और बर्बादी नहीं होती। साथ ही, रेन वाटर हार्वेस्टिंग यानी वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि मानसून के दौरान एकत्रित पानी को सिंचाई में इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने नाइट्रोजन फिक्सेशन और सॉयल मॉइश्चर कंजर्वेशन जैसे उपायों को भी जरूरी बताया, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और नमी लंबे समय तक सुरक्षित रहती है। इसके अलावा उन्होंने स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम्स और पारंपरिक जल-गहन फसलों की जगह स्मार्ट क्रॉपिंग अपनाने की सलाह दी, ताकि खेती कम पानी में भी ज्यादा उत्पादन दे सके।

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नीतिगत बदलावों की मांग

BJP सांसद ने केंद्र सरकार और नीति आयोग से अपील की कि अब नीतिगत बदलाव ज़रूरी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में फसल विविधता और जल-प्रबंधन नीति को एक साथ जोड़ने की ज़रूरत है। किसानों को बेहतर MSP, बाजार सुविधा और बीज तकनीक प्रदान की जाए।अंतिम अपील में उन्होंने कहाजल संरक्षण से ही किसान सुरक्षित, उन्होंने जोर देते हुए कहा:

अगर हम अभी नहीं जागे, तो आने वाले वर्षों में खेतों में पानी नहीं बचेगा और किसान आर्थिक रूप से और भी कमजोर हो जाएगा। जल संरक्षण को जन-आंदोलन बनाना होगा और खेती को वैज्ञानिक बनाना होगा।

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हर्ष शर्मा उत्तर प्रदेश में सक्रिय एक युवा डिजिटल पत्रकार हैं। उन्होंने Inkhabar, Expose India और Times Bull जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट राइटिंग और सोशल मीडिया मैनेजमेंट में काम किया है। SEO फ्रेंडली लेखन और डिजिटल न्यूज प्रोडक्शन में अनुभव रखते हैं। वर्तमान में भारतीय बस्ती में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।