उत्तर प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज में दाढ़ी को लेकर बवाल, धार्मिक नारेबाजी और धर्म परिवर्तन की धमकी से मचा हड़कंप

सहारनपुर का मदर टेरेसा नर्सिंग कॉलेज 7 मई की शाम अचानक पूरे शहर की चर्चा का केंद्र बन गया। कॉलेज परिसर में हुए एक छोटे से विवाद ने ऐसा तूल पकड़ा कि पूरा मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और अब प्रशासन से लेकर आम लोग तक इस घटना को लेकर कई सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल, यह विवाद कॉलेज प्रशासन और एक छात्र के बीच दाढ़ी रखने को लेकर हुआ था। सेकंड ईयर के ओटी विभाग के छात्र विशाल को कॉलेज प्रशासन ने इसलिए निष्कासित कर दिया क्योंकि वह दाढ़ी कटवाकर कॉलेज नहीं आया। कॉलेज प्रशासन का तर्क था कि सभी छात्रों के लिए तय नियम हैं, और उन्हें क्लीन शेव होकर ही क्लास में उपस्थित होना होता है।
विशाल को निकाले जाने के बाद मामला यहीं नहीं थमा। छात्र के परिजनों ने इस निर्णय का विरोध किया और कथित तौर पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को कॉलेज बुलाने की धमकी दी। कुछ ही देर में कॉलेज परिसर में कुछ युवक पहुंचे और वहां जमकर हंगामा किया। आरोप है कि इन लोगों ने महिला स्टाफ और मुस्लिम छात्राओं के साथ बदसलूकी की।
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धार्मिक नारे और बढ़ता तनाव

इस बीच कॉलेज की एक मुस्लिम छात्रा महेश राम ने कथित रूप से “अल्लाहु अकबर” का नारा लगाया, जिससे माहौल और भी ज्यादा गरमा गया। इसके जवाब में कुछ लोग “जय श्री राम” के नारे लगाने लगे। देखते ही देखते मामला धार्मिक पहचान और अस्मिता की लड़ाई में बदल गया।
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे कॉलेज परिसर में तनावपूर्ण स्थिति बनी और लोग एक-दूसरे से भिड़ते नजर आ रहे हैं। मामला इतना गंभीर हो गया कि कॉलेज प्रशासन को पुलिस में शिकायत दर्ज करानी पड़ी।
प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन की प्रतिक्रिया
कॉलेज के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह राणा ने बताया कि कॉलेज के नियमों के अनुसार सभी छात्रों को शेविंग करके आना होता है। जब 20 में से 19 छात्रों ने नियमों का पालन किया तो एक छात्र के लिए अपवाद नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि छात्र के परिजनों ने फोन करके धमकी दी कि वे बजरंग दल के लोगों को कॉलेज भेजेंगे।
कॉलेज प्रशासन के अनुसार, कुछ ही समय में 25-30 लोग कॉलेज पहुंचे, जिनमें कुछ लोग खुद को एबीवीपी और बजरंग दल से जुड़ा हुआ बता रहे थे। इन लोगों ने महिला स्टाफ और मुस्लिम छात्राओं के साथ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बातें कहीं।
प्रशासन ने साफ शब्दों में कहा कि अगर इस मामले में निष्पक्ष न्याय नहीं मिला तो वे 500 से 700 छात्रों और स्टाफ के साथ मिलकर धर्म परिवर्तन करेंगे। कॉलेज स्टाफ का कहना है कि जब अपने ही धर्म में रहते हुए अपमान सहना पड़े, तो फिर धर्म परिवर्तन करने में हर्ज क्या है?
पुलिस कार्रवाई और जांच
इस गंभीर मामले में पुलिस भी सक्रिय हो गई है। सहारनपुर के एसपी सिटी ओम बिंदल ने बताया कि वायरल वीडियो की जांच की जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है और अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
एसपी सिटी ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल विवेचना जारी है और सारे तथ्य सामने आने के बाद ही सच्चाई पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगी। घटना रामपुर मल्हारन थाना क्षेत्र की बताई जा रही है।
क्यों बना यह मामला इतना बड़ा?
एक तरफ यह मामला कॉलेज के नियमों की बात करता है तो दूसरी तरफ इसमें धार्मिक पहचान, सामाजिक सम्मान और व्यक्तिगत भावनाएं जुड़ गईं। सवाल यह उठता है कि क्या दाढ़ी रखने या न रखने को लेकर किसी छात्र को कॉलेज से निष्कासित करना उचित था? और अगर नियम थे, तो क्या उनका पालन कराने के लिए हिंसक और सांप्रदायिक तरीका अपनाना सही है?
घटना के बाद जिस तरह से धार्मिक नारे लगे और माहौल बिगड़ा, उससे साफ है कि इस मामले को सिर्फ अनुशासनहीनता का नहीं, बल्कि साम्प्रदायिकता का रंग देने की कोशिश की गई। इससे कॉलेज का शैक्षिक वातावरण तो प्रभावित हुआ ही, साथ ही शहर की शांति और सौहार्द्र भी खतरे में पड़ा।
धर्म परिवर्तन की चेतावनी – एक सामाजिक संकट
कॉलेज प्रशासन की ओर से दी गई धर्म परिवर्तन की चेतावनी अपने आप में बेहद गंभीर मामला है। जब कोई शैक्षिक संस्था यह कहे कि यदि हमें न्याय नहीं मिला तो हम धर्म बदल लेंगे, तो यह बताता है कि स्थिति कितनी तनावपूर्ण और असहनीय हो चुकी है। यह एक चेतावनी मात्र नहीं, बल्कि समाज की उस पीड़ा की अभिव्यक्ति है जो बार-बार उपेक्षा और अपमान का शिकार होती है।
सहारनपुर के इस मामले ने यह साफ कर दिया है कि आज भी हमारे समाज में धार्मिक पहचान को लेकर टकराव कितना जल्दी भड़क सकता है। एक कॉलेज के भीतर नियमों को लेकर शुरू हुआ विवाद इस कदर बढ़ गया कि अब बात धर्म परिवर्तन तक पहुंच चुकी है।
प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह निष्पक्ष जांच करे और जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। साथ ही समाज को भी यह समझना होगा कि शिक्षा के मंदिरों को राजनीति और धार्मिक उन्माद से दूर रखा जाए, ताकि भविष्य की पीढ़ी एक बेहतर और शांतिपूर्ण माहौल में पढ़ सके।