यूपी में स्थित इस जिले में बस अड्डों का होगा पुनर्निर्माण, अधिकारियों द्वारा शुरू भूमि की तलाश

उत्तर प्रदेश: यूपी में स्थित प्रयागराज शहर के दो प्रमुख बस अड्डे:- सिविल लाइंस और जीरो रोड लंबे समय से भीड़, अव्यवस्था और जर्जर संरचना की समस्याओं से जूझ रहे हैं. इन्हें नए सिरे से निर्मित करने की योजना को सरकार ने मंजूरी तो दे दी है, लेकिन काम शुरू करने से पूर्व एक बड़ी बाधा सामने खड़ी है, वह यह कि जब ये दोनों बस अड्डे बंद होंगे, तब सैकड़ों बसें कहां से चलाई जाएंगी? इसी सवाल का जवाब ढूंढने में यूपी रोडवेज के अधिकारी कई हफ्तों से माथापच्ची कर रहे हैं, परंतु अब तक उन्हें कोई विकल्प नहीं मिला है.
प्रशासन और रोडवेज की प्राथमिक कोशिश यही थी कि शहर में एक ऐसा बड़ा स्थान मिले, जहां से सभी रूटों की बसों का संचालन एक साथ किया जा सके. इस दृष्टिकोण से केपी कॉलेज का मैदान सबसे उपयुक्त माना गया, क्योंकि यह शहर के मध्य में स्थित है और वहां तक पहुंचना यात्री और कर्मचारियों दोनों के लिए सुविधाजनक होता. लेकिन वहां पहले से जारी शैक्षणिक और खेल गतिविधियों के चलते बस संचालन की अनुमति मिलना मुश्किल हो गया. इस परेशानी के बाद, रोडवेज को अपनी योजना बदलनी पड़ी. अब यह निर्णय कर लिया गया है कि सिविल लाइंस और जीरो रोड से संचालित होने वाली बसों को अलग-अलग मार्गों के अनुसार शहर के विभिन्न स्थलों से संचालित किया जाएगा. इसके लिए 3 प्रमुख स्थलों को चिह्नित किया गया है, जो यात्रियों की सुविधा और यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए चुने गए हैं.
ये होंगे अस्थायी बस संचालन केंद्र:

- विद्या वाहिनी मैदान:- यह मैदान उन बसों के लिए प्रस्तावित है जो वाराणसी, गोरखपुर, जौनपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर और बांदा जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों की ओर जाती हैं. यह इलाका मुख्य मार्ग पर होने के कारण आवाजाही के लिए उपयुक्त माना गया है.
- प्रिंटिंग कॉलेज मैदान:- इस स्थान से लखनऊ, अयोध्या, बस्ती और हल्द्वानी जैसे उत्तर दिशा वाले मार्गों पर जाने वाली बसों का संचालन किया जाएगा. रेलवे स्टेशन और यूनिवर्सिटी के पास स्थित होने के कारण यह जगह भी व्यावहारिक विकल्प के रूप में देखी जा रही है.
- लीडर रोड बस स्टेशन:- यहां से कानपुर, कौशाम्बी, दिल्ली और आगरा जैसे पश्चिमी मार्गों की बसें चलाई जाएंगी. यह स्थान पहले से आंशिक रूप से बस संचालन में प्रयोग में लाया जा चुका है.
इन तीन विकल्पों के अलावा रोडवेज की नजर परेड मैदान और नेहरू पार्क पर भी है. लेकिन यह दोनों स्थान सेना के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. ऐसे में यहां से बसें चलाने के लिए रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति आवश्यक है, जो एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है. यदि सेना से अनुमति मिलती है तो ये मैदान बड़े स्तर पर संचालन के लिए उपयुक्त साबित हो सकते हैं, क्योंकि इनमें पर्याप्त स्थान और यातायात संपर्क है.
यह ध्यान देने योग्य है कि प्रयागराज शहर से प्रतिदिन लगभग 1,000 रोडवेज बसें आती-जाती हैं, जिनमें से अकेले 850 बसों की आवाजाही सिविल लाइंस बस अड्डे से होती है. ऐसे में यदि यह बस अड्डा अस्थायी रूप से बंद किया जाता है तो यात्री सेवाओं पर बड़ा असर पड़ेगा. छात्रों, नौकरीपेशा लोगों, व्यापारियों और तीर्थयात्रियों को आने-जाने में कठिनाई हो सकती है. साथ ही, शहर की यातायात व्यवस्था पर भी दबाव बढ़ेगा. इस पूरी योजना को अंतिम रूप देने के लिए रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारी मंगलवार को जिला प्रशासन के मुख्य राजस्व अधिकारी (CRO) से मुलाकात करेंगे. इस बैठक में प्रस्तावित स्थलों की उपयोगिता, सुरक्षा, यातायात नियंत्रण और यात्री सुविधाओं पर विचार किया जाएगा. बैठक के बाद ही निश्चित किया जाएगा कि किस स्थान से किन रूटों की बसें संचालित होगी और अस्थायी संचालन की शुरुआत कब से होगी.
यात्रियों के लिए क्या हो सकती हैं चुनौतियाँ?
- नई जगहों से बसें पकड़ने में परेशानी और असुविधा.
- दूर-दराज इलाकों से आने वाले यात्रियों को अधिक यात्रा करनी पड़ सकती है.
- कुछ क्षेत्रों में यातायात जाम की संभावना बढ़ सकती है.
- टिकट बुकिंग और जानकारी के लिए बेहतर सूचना की आवश्यकता होगी.