यूपी में बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर मिलेगी अब यह सुविधा
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छोटे बच्चे जो परिवार से बिछड़ जाते हैं, घर छोड़ देते हैं या किसी गैंग के चंगुल में फंसकर रेलवे स्टेशन या बस अड्डों तक पहुंच जाते हैं, उनके बेहतर भविष्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार अब ज़मीनी स्तर पर बड़ी पहल करने जा रही है. इसी दिशा में प्रदेश के रेलवे व बस स्टेशनों पर चल रहे चाइल्ड हेल्पलाइन डेस्क की संख्या में इज़ाफा किया जाएगा.
नई व्यवस्था की तैयारी
फिलहाल उत्तर प्रदेश के 23 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर यह चाइल्ड हेल्प डेस्क कार्यरत हैं, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाकर 28 करने की योजना है. आने वाले समय में वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर और गाजियाबाद जैसे प्रमुख स्टेशनों पर भी ये डेस्क स्थापित की जाएंगी, ताकि लावारिस और संकटग्रस्त बच्चों को तत्काल सहायता मिल सके.
बस अड्डों पर भी बढ़ेगी निगरानी
वर्तमान में प्रदेश के केवल 4 बस अड्डों पर ही चाइल्ड हेल्प डेस्क मौजूद हैं, लेकिन वित्तीय वर्ष 2025-26 में इनकी संख्या 11 तक पहुँचाई जाएगी. आगरा, चंदौली, प्रयागराज, मीरजापुर, मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी के बस अड्डों को इस सुविधा से जोड़ा जाएगा, जिससे सड़क मार्ग से सफर करने वाले असहाय बच्चों को भी मदद मिल सके.
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में भी फोकस
सरकार विमेन एंड चाइल्ड हेल्पलाइन डेस्क को और मजबूत करने के लिए भी गंभीर है. इन डेस्क पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी. सभी जिलों में चल रही चाइल्ड हेल्पलाइन यूनिट्स में अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाएगा, जिससे सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच दोनों बेहतर हों.
शिकायतों पर जल्द एक्शन
कंट्रोल रूम में आने वाली कॉल्स की संख्या बढ़ने की संभावना को देखते हुए 5 अतिरिक्त कॉल रिसीवर नियुक्त किए जाएंगे. इसका उद्देश्य है कि शिकायतों का समाधान और सहायता तेजी से दी जा सके. साथ ही, प्रदेश के सभी 75 ज़िलों में चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स में अब 3-3 अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे, जिससे बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था और भी अधिक सशक्त बन सके.