स्मार्ट सिटी बनाने में सरकार का काम तेज, शहरी विकास के काम के लिए 1 लाख करोड़
सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का एक "अर्बन चैलेंज फंड" स्थापित करने का निर्णय लिया है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में लगातार आठवीं बार केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया है। अपने भाषण में उन्होंने कैबिनेट से यह जानकारी साझा की कि सरकार शहरी क्षेत्रों को विकास के केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का एक अर्बन चैलेंज फंड (Urban Challenge Fund) बनाने जा रही है।
निर्मला सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फंड विभिन्न शहरी विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जिससे शहरों में रहने वाले लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें उन्होंने शहरी क्षेत्रों में सुधार के लिए जुलाई में प्रस्तुत किए गए बजट प्रस्तावों के आधार पर एक नई योजना का उल्लेख किया। इस योजना में शहरी शासन, नगरपालिका सेवाएं, और शहरी भूमि एवं योजना से जुड़े सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का एक "अर्बन चैलेंज फंड" स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस फंड का मुख्य लक्ष्य शहरी क्षेत्रों को विकास के केंद्र के रूप में विकसित करना और शहरों का रचनात्मक पुनर्विकास करना है। इसके अलावा, जल प्रबंधन और अन्य आवश्यक सेवाओं को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा, जिससे नागरिकों को बेहतर जीवन स्तर और सुविधाएं मिल सकें।
इस फंड के माध्यम से बैंक योग्य परियोजनाओं की कुल लागत का 25% तक वित्तपोषण किया जाएगा। इस योजना के तहत एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि परियोजना की कम से कम 50% लागत को बांड, बैंक लोन, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से जुटाया जाना चाहिए। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस उद्देश्य के लिए 10,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित करने का प्रस्ताव रखा गया है।
सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि वह एक Urban Challenge Fund की स्थापना करने जा रही है, जिसका कुल बजट ₹1 लाख करोड़ रखा गया है। इस फंड का मुख्य उद्देश्य हमारे शहरों को स्मार्ट और आधुनिक बनाना है। इसका मतलब यह है कि यह धनराशि शहरों के बुनियादी ढांचे में सुधार करने और उन्हें विकास के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए उपयोग की जाएगी। इस पहल के तहत, सरकार का लक्ष्य है कि शहरों में आवास, परिवहन, जल आपूर्ति, और अन्य आवश्यक सेवाओं में सुधार किया जाए।
देश के शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का तेजी से बढ़ना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। जैसे-जैसे आबादी में वृद्धि हो रही है, शहरों के बुनियादी ढांचे को भी उसी गति से विकसित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। हालांकि, वास्तविकता यह है कि मौजूदा बुनियादी ढांचा इतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि परिवहन, आवास, कचरा प्रबंधन और स्वच्छता जैसी समस्याएं आम जनता के सामने आ रही हैं। शहरों में बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ, इन समस्याओं का समाधान करना बेहद जरूरी है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में ये समस्याएं और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
सरकार और निजी कंपनियाँ मिलकर बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में लगी रहती हैं। इनमें सड़कों का निर्माण, पुलों का निर्माण, एयरपोर्ट्स का विकास और अस्पतालों का निर्माण शामिल हैं। इस संदर्भ में, PPP संरचना यानी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का अर्थ है कि सरकार और निजी कंपनियाँ एक साथ मिलकर किसी प्रोजेक्ट पर कार्य करती हैं।
यह साझेदारी दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होती है, क्योंकि सरकार को आवश्यक संसाधन और विशेषज्ञता मिलती है, जबकि निजी कंपनियों को अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है। PPP मॉडल के तहत, दोनों पक्षों के बीच जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा होता है, जिससे प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन सुचारू रूप से होता है।
सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियां मिलकर विभिन्न परियोजनाओं में जोखिम उठाने, कार्यों को साझा करने और एक-दूसरे की सहायता करने का काम करती हैं। इस सहयोग में सरकार भूमि आवंटित करती है, वित्तीय सहायता प्रदान करती है और नीतियों का निर्माण करती है। वहीं, निजी कंपनियां इन योजनाओं को लागू करने, कार्यप्रणाली विकसित करने और प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को संभालने का कार्य करती हैं।
सरकार की योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी खर्चे सरकार द्वारा उठाए जाएं और काम तेजी से और सही तरीके से पूरा हो। इस योजना का आधार यह है कि सरकारी हित और निजी कंपनियों की विशेषज्ञता का समन्वय किया जाए। इस सहयोग से एक प्रभावशाली और मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सकेगा।
इसका मतलब यह है कि जब सरकार अपने संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल करती है और निजी कंपनियों के अनुभव का लाभ उठाती है, तो दोनों पक्षों को फायदा होता है। सरकार को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है, जबकि निजी कंपनियों को अपने कौशल और तकनीकी ज्ञान का उपयोग करने का अवसर मिलता है। इस तरह, एक मजबूत और टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा सकता है, जो देश के विकास में सहायक होगा।