यूपी में 8 लाख कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, इस पॉलिसी को मिली मंज़ूरी

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष ट्रांसफर नीति को पूर्ववत रखते हुए उसे लागू करने का फैसला किया है. 15 मई से 15 जून के बीच राज्य के हजारों कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाएगा, जिसमें किसी भी नियम में बदलाव नहीं किया गया है.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में स्थानांतरण नीति को हरी झंडी दे दी है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य में इस साल 15 मई से 15 जून तक सभी विभागों में स्थानांतरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा. खास बात यह है कि इस बार भी पिछले वर्ष की नीति को ही बरकरार रखा गया है, यानी कोई नया संशोधन या बदलाव इसमें नहीं किया गया है. प्रदेश में राज्य सरकार के अधीन फिलहाल आठ लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. इन सभी के लिए ट्रांसफर नीति लागू होगी, लेकिन यह प्रक्रिया तय मानकों और समयावधि के अनुसार ही की जाएगी. जिन कर्मचारियों ने किसी एक जिले में तीन वर्ष और मंडल स्तर पर सात वर्ष पूरे कर लिए हैं, उन्हें स्थानांतरण की सूची में प्राथमिकता दी जाएगी.
स्थानांतरण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए ‘पिक एंड चूज’ यानी मनचाही जगह पर ट्रांसफर की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है. सरकार का मानना है कि इससे न केवल विभागीय निष्पक्षता बनी रहेगी, बल्कि कर्मियों के बीच असंतोष भी कम होगा. समूह ‘क’ और ‘ख’ श्रेणी के अधिकारियों में से अधिकतम 20 प्रतिशत तक स्थानांतरण किए जा सकेंगे. वहीं समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कर्मचारियों का 10 प्रतिशत तक ट्रांसफर संबंधित विभागाध्यक्ष की अनुमति से संभव होगा. यदि किसी विभाग को इससे अधिक संख्या में कर्मियों के तबादले की आवश्यकता होती है, तो इसके लिए संबंधित मंत्री से विशेष स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा.
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इसके अलावा राज्य कर विभाग को अब सेवा कर विभाग का दर्जा भी दे दिया गया है, जो प्रशासनिक पुनर्गठन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. यह निर्णय न केवल विभागीय संचालन को सरल बनाएगा, बल्कि कर संग्रहण में भी पारदर्शिता लाएगा. सरकार ने साफ कर दिया है कि निर्धारित समयसीमा यानी 15 जून तक सभी ट्रांसफर की कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी. इसके बाद स्थानांतरण के कोई आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे, जिससे कामकाज में स्थिरता बनी रह सके.