यूपी में इमारतों को लेकर बनेंगे नये नियम, कैबिनेट करेगा फैसला
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लखनऊ में इमारतों की संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है. ट्रांसपोर्ट नगर में हुई इमारत ढहने की घटना के बाद एलडीए ने नई और पुरानी इमारतों के लिए सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य करने का निर्णय लिया है.
सुझाव और आपत्तियाँ आमंत्रित
अब से लखनऊ में बनने वाली सभी नई बहुमंजिला इमारतों के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियर, आर्किटेक्ट और भूमि मालिक से एक संयुक्त प्रमाणपत्र अनिवार्य होगा. इसमें यह बताया जाएगा कि इमारत की अनुमानित उम्र कितनी है और कितने वर्षों तक यह संरचनात्मक रूप से सुरक्षित रहेगी. बिना इस प्रमाणपत्र के किसी भी बहुमंजिला इमारत का नक्शा पास नहीं किया जाएगा. प्रदेश में नए बिल्डिंग बायलॉज लागू होने जा रहे हैं. इसके तहत अब शहर में पुरानी हो चुकी बहुमंजिला इमारतों का सेफ्टी ऑडिट होगा. लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर में हुई घटना के बाद इसको बायलॉज में शामिल किया गया है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसको लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के सभी प्राधिकरणों में लागू कर दिया जाएगा. एलडीए के अफसरों की माने तो सेफ्टी ऑडिट के लिए एक फीस तय नहीं है.
इसके लिए बिल्डिंग मालिक को उसके प्लॉट की दायरे से हिसाब से फीस देनी होगी. अगर रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ी आती है, तो उसको दूर करने के लिए भी समय दिया जाएगा. तय समय पर अगर उसको दूर नहीं किया गया, तो मालिक पर कार्रवाई की जाएगी. एलडीए ने इस नई नीति के लिए सुझाव और आपत्तियाँ आमंत्रित की हैं. नागरिक, बिल्डर, आर्किटेक्ट और अन्य संबंधित पक्ष 15 दिनों के भीतर अपने सुझाव और आपत्तियाँ प्रस्तुत कर सकते हैं. इसके बाद शासन से मंजूरी प्राप्त कर इसे बिल्डिंग बाइलॉज में शामिल किया जाएगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अवैध निर्माणों पर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है और चेतावनी दी है कि यदि अगली सुनवाई तक हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया गया. तो उन्हें कोर्ट में हाजिर होना होगा. यह आदेश अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
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नई इमारतों के लिए सुरक्षा प्रमाणपत्र
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने पुरानी इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नियमित स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट की व्यवस्था की है. यह निर्णय शहर में बढ़ती पुरानी और जर्जर इमारतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. जिससे भविष्य में जान.माल की हानि रोकी जा सके. ट्रांसपोर्टनगर में पिछले साल 8 सितंबर को हरमिलाप टावर भरभराकर जमींदोज हो गया था. हादसे में एक कारोबारी समेत आठ की मौत हो गई थी. मलबे में दबे 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस मामले के बाद शासन ने बिल्डिंग की जांच नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गुजरात की टीम से जांच करवाई थी. जिसमे घटिया निर्माण की बात सामने आई थी.
शहर की सभी बहुमंजिला इमारतों की मजबूती अब कागजों तक सीमित नहीं रहेगी. ट्रांसपोर्ट नगर में हाल ही में गिरी इमारत के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है. अब हर 10 साल में पुरानी बिल्डिंगों का सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य होगा. इसका खर्च खुद बिल्डिंग मालिक ही करेगा. वहीं, अगर कोई हादसा होता है, तो इसका जिम्मेदार बिल्डिंग मालिक ही होगा. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने बिल्डिंगों सेफ्टी ऑडिट के लिए 7 कंसल्टेंसी कंपनी अर्थराइज किया है. शहर में अगर किसी को ऑडिट करवाना होगा, तो वो इन कंपनियों से ही करवाएगा. इनकी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस पहल से लखनऊ में इमारतों की संरचनात्मक सुरक्षा में सुधार होगा और भविष्य में किसी भी दुर्घटना की संभावना कम होगी. नागरिकों को इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और अपने सुझाव और आपत्तियाँ प्रस्तुत करनी चाहिए.