मुंबई इंडियंस के लिए घातक साबित हो सकता है उनका अपना ही खिलाड़ी, हार्दिक पांड्या जमकर हो रहे ट्रोल

मुंबई इंडियंस की टीम इस सीज़न में जितनी चर्चा अपने प्रदर्शन को लेकर कर रही है, उससे कहीं ज्यादा सवाल उसके अंदरूनी फैसलों और रणनीतियों पर उठ रहे हैं। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट ने क्रिकेट प्रेमियों के बीच हलचल मचा दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एलएसजी के खिलाफ हुए मुकाबले में मुंबई इंडियंस के युवा और भरोसेमंद बल्लेबाज तिलक वर्मा को चोटिल होने के बावजूद जानबूझकर खिलाया गया। यह खबर सामने आने के बाद ना केवल फैंस हैरान हैं बल्कि टीम मैनेजमेंट की नीतियों पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
दरअसल, एलएसजी के खिलाफ मैच से ठीक पहले तिलक वर्मा को प्रैक्टिस के दौरान हाथ में चोट लग गई थी। ये वही समय था जब रोहित शर्मा भी अपनी चोट के चलते स्कैन के लिए भेजे गए थे। लेकिन जहां रोहित शर्मा को उस मुकाबले से आराम दिया गया, वहीं तिलक वर्मा को चोट के बावजूद इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर मैदान में उतार दिया गया। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि तिलक खुद को फिट महसूस नहीं कर रहे थे, लेकिन फिर भी कोच महेला जयवर्धने और कप्तान हार्दिक पांड्या ने उन्हें ज़बरदस्ती खेलने के लिए कहा।
इस घटनाक्रम ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है क्योंकि उस मैच के दौरान तिलक वर्मा को जबरदस्ती रिटायर आउट किया गया, जबकि वो सेट हो चुके थे और पारी को अंत तक ले जाने की क्षमता रखते थे। तिलक वर्मा की बल्लेबाजी शैली और उनकी आक्रामकता को देखते हुए ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि उन्हें उस समय वापस बुलाया जाए, जब टीम को एक फिनिशर की जरूरत थी। इसके बजाय मिशल सैंटनर को मैदान पर भेजा गया, जो ना तो प्रभावशाली पारी खेल सके और ना ही टीम को जीत दिला सके। ऊपर से हार्दिक पांड्या ने अंतिम ओवर खुद खेला, लेकिन मुंबई को जीत दिलाने में नाकाम रहे।
इससे भी गंभीर बात ये है कि अगर एक खिलाड़ी पहले से ही चोटिल है, और फिर उसे जबरदस्ती मैदान में उतारा जाता है, तो ये सिर्फ खिलाड़ी के आत्मविश्वास को ही नहीं बल्कि उसके भविष्य को भी खतरे में डालने जैसा होता है। तिलक वर्मा जैसे खिलाड़ी जो अब तक मुंबई इंडियंस के लिए कई मैच विनिंग पारियां खेल चुके हैं, उनके साथ ऐसा व्यवहार कहीं न कहीं अपमानजनक भी माना जाएगा। एक सेट बल्लेबाज को बाहर बुलाना, वो भी उस वक्त जब वो पारी को खत्म करने की स्थिति में हो, किसी भी रणनीति का हिस्सा नहीं बल्कि एक खराब फैसले का उदाहरण बन जाता है।
हार्दिक पांड्या और महेला जयवर्धने का यह फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि इससे पहले तिलक वर्मा ने कई बार टीम को संकट से निकालकर जीत दिलाई है। ऐसे खिलाड़ी के साथ इस तरह का बर्ताव करना न केवल उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि पूरी टीम के माहौल को भी खराब करता है। एक युवा खिलाड़ी जो चोट के बावजूद टीम के लिए मैदान में उतरता है, उससे यह उम्मीद की जाती है कि टीम मैनेजमेंट उसकी स्थिति को समझे और उसका सम्मान करे। लेकिन यहां उल्टा देखने को मिला।
रिपोर्ट्स की मानें तो तिलक वर्मा न सिर्फ खुद को फिट महसूस नहीं कर रहे थे, बल्कि उनका मनोबल भी उस समय गिरा जब उन्हें रिटायर आउट किया गया। मैच के बाद जो माहौल टीम का था, वह काफी नकारात्मक बताया जा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मुंबई इंडियंस इस सीज़न में जो खराब प्रदर्शन कर रही है, उसका एक बड़ा कारण प्लेइंग इलेवन के चयन में हो रही गलतियां और खिलाड़ियों के साथ सही कम्युनिकेशन का ना होना है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या हार्दिक पांड्या और महेला जयवर्धने की रणनीति में कोई मतभेद है? या फिर जानबूझकर कुछ खिलाड़ियों को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है? ये सवाल सिर्फ फैंस के मन में नहीं बल्कि क्रिकेट एक्सपर्ट्स के बीच भी चर्चा का विषय बन चुके हैं। एक खिलाड़ी जो हर मैच में एफर्ट देता है, टीम के लिए अपना 100% देता है, उसके साथ अगर ऐसा व्यवहार होता है, तो ये मैनेजमेंट की सोच और कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
मुंबई इंडियंस की इस हार के बाद सोशल मीडिया पर भी हार्दिक पांड्या को जमकर ट्रोल किया गया। फैन्स का कहना है कि न तो कप्तान के तौर पर उनके फैसले असरदार हैं और न ही उनका खुद का प्रदर्शन टीम को जीत दिला पा रहा है। तिलक वर्मा को रिटायर आउट करना एक ऐसी गलती मानी जा रही है, जिसकी कीमत टीम को मैच गंवाकर चुकानी पड़ी।
अब देखना यह होगा कि इस विवाद के बाद मुंबई इंडियंस किस तरह से आगे की रणनीति बनाती है। क्या मैनेजमेंट इस फैसले की जिम्मेदारी लेगा? क्या हार्दिक पांड्या आगे से ऐसे फैसले लेने में सतर्कता बरतेंगे? और सबसे अहम सवाल – क्या तिलक वर्मा जैसे समर्पित खिलाड़ी को फिर से वो सम्मान और भरोसा मिलेगा जिसके वे हकदार हैं?
आने वाले मैचों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मुंबई इंडियंस इस झटके से कैसे उबरती है और क्या टीम फिर से जीत की पटरी पर लौटने में सफल हो पाती है या नहीं। लेकिन इतना तो तय है कि फैंस और क्रिकेट जगत की नजर अब सिर्फ खिलाड़ियों पर नहीं बल्कि टीम के भीतर की रणनीतियों और रिश्तों पर भी टिकी हुई है।