यूपी के लखीमपुर में 22 करोड़ रुपए से शारदा नदी में हो रहा चैनेलाइजेशन, बचाव कार्य लगातार जारी

यूपी के लखीमपुर में 22 करोड़ रुपए से शारदा नदी में हो रहा चैनेलाइजेशन, बचाव कार्य लगातार जारी
यूपी के लखीमपुर में 22 करोड़ रुपए से शारदा नदी में हो रहा चैनेलाइजेशन, बचाव कार्य लगातार जारी

उत्तर प्रदेश में स्थित लखीमपुर खीरी जनपद के पलिया तहसील में शारदा नदी के किनारे चल रहे बाढ़ नियंत्रण कार्यों में भारी अनियमितता और लापरवाही के आरोप सामने आए हैं. दावा किया गया था कि बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए 22 करोड़ रुपये की लागत से नदी के चैनेलाइजेशन का कार्य किया जा रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है.

सिर्फ कागजों पर हुआ "चैनेलाइजेशन" का वादा

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स्थानीय प्रशासन द्वारा बताया गया कि 7 किलोमीटर की लंबाई में नदी की ड्रेजिंग की जानी थी, लेकिन अब तक इस कार्य में सिर्फ पोकलैंड मशीनों से हल्की खुदाई कर खानापूरी की जा रही है. तय मानकों के अनुसार, गहराई तक ड्रेजिंग के लिए भारी ड्रेजर मशीनें लगाई जानी थीं, लेकिन दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद एक भी ड्रेजर मशीन मौके पर नहीं पहुंची है.

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नदी की सिल्ट यानी तलछट को ट्रैक्टरों के जरिए बाहर निकाला जा रहा है, जो कि तकनीकी रूप से न तो पर्याप्त है और न ही सुरक्षित. स्थानीय विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी खुदाई से निकाली गई मिट्टी बाढ़ के समय पुनः नदी में बहकर जा सकती है, जिससे बाढ़ का खतरा और बढ़ जाएगा. यह कार्य बाढ़ से राहत की बजाय संकट को और निमंत्रण देने जैसा है.

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ग्रामीणों का गुस्सा फूटा

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पलिया तहसील के ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर खासा आक्रोश है. उनका कहना है कि हर साल बाढ़ की वजह से हजारों लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, और फिर भी राहत कार्य केवल कागजों तक सीमित रह जाते हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से सवाल किया है कि आखिर 22 करोड़ की राशि कहां खर्च हो रही है और क्यों अब तक आवश्यक मशीनें नहीं पहुंची हैं.

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इस गंभीर मुद्दे पर अभी तक न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी सामने आया है और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये योजनाएं सिर्फ ठेकेदारों और अधिकारियों की जेबें भरने के लिए बनाई जाती हैं, आम जनता की सुरक्षा इनकी प्राथमिकता में शामिल नहीं है.

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