चैंपियंस ट्रॉफी 2025 से पहले मोहम्मद शमी की आईसीसी से बड़ी मांग – क्या वापस आएगा लार का नियम?

मोहम्मद शमी की गुहार – गेंदबाजों के लिए फायदेमंद होगा लार का उपयोग
लार पर लगी रोक और उसका असर
कोविड-19 महामारी के दौरान संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए आईसीसी ने गेंद पर लार लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब से गेंदबाजों को सिर्फ पसीने का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है। लेकिन शमी का कहना है कि सिर्फ पसीने से गेंद पर उतनी चमक नहीं आती जितनी लार से आती थी, जिससे स्विंग कराना मुश्किल हो गया है।
शमी के अनुसार, वनडे क्रिकेट में पहले ही गेंदबाजों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि दोनों छोर से नई गेंद का उपयोग किया जाता है। इससे गेंद जल्दी पुरानी नहीं होती और रिवर्स स्विंग लगभग खत्म हो गई है। बल्लेबाजों को बड़े शॉट खेलने में आसानी हो रही है और स्कोर लगातार 350-400 रन तक जा रहे हैं। अगर गेंद पर लार का इस्तेमाल दोबारा शुरू किया जाता है, तो गेंदबाजों को स्विंग मिलेगी और बल्लेबाजों के लिए रन बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।
रिवर्स स्विंग क्यों जरूरी है?
रिवर्स स्विंग क्रिकेट में एक अहम हथियार माना जाता है, खासकर तेज गेंदबाजों के लिए। जब गेंद पुरानी हो जाती है और उसका एक हिस्सा ज्यादा चमकदार रहता है, तो हवा के दबाव की वजह से गेंद उम्मीद के विपरीत स्विंग करने लगती है।
शमी ने बताया कि जब गेंद पर लार लगाई जाती थी, तो चमड़ा थोड़ा भारी हो जाता था, जिससे गेंदबाजों को बेहतर नियंत्रण मिलता था और वे बल्लेबाजों को चकमा दे सकते थे। लेकिन लार पर रोक लगने के बाद गेंद जल्दी खराब नहीं होती और बल्लेबाजों को बड़ा स्कोर बनाने में ज्यादा सुविधा मिलती है।
शमी की दलील – गेंदबाजों को बराबरी का मौका मिलना चाहिए
शमी ने कहा कि जब बल्लेबाजों को नई गेंद से फायदा हो रहा है और वे पावरप्ले में आक्रामक बल्लेबाजी कर सकते हैं, तो गेंदबाजों को भी बराबरी का मौका मिलना चाहिए। अगर लार का इस्तेमाल दोबारा शुरू होता है, तो वनडे क्रिकेट में बड़े स्कोर कम हो सकते हैं और गेंदबाजों को भी अपना कौशल दिखाने का अवसर मिलेगा।
क्या आईसीसी इस नियम में बदलाव करेगी?
आईसीसी ने अब तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन शमी की इस अपील से क्रिकेट जगत में एक नई बहस छिड़ गई है। कई पूर्व तेज गेंदबाज भी इस मांग का समर्थन कर सकते हैं, क्योंकि वे भी मानते हैं कि गेंदबाजों को अब पहले से कम मदद मिल रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आईसीसी इस नियम पर पुनर्विचार करती है या नहीं। अगर यह बदलाव होता है, तो चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में गेंदबाजों के लिए एक नई उम्मीद जगेगी और क्रिकेट का संतुलन दोबारा बहाल हो सकता है।