Siddharth Nagar News: जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में पेयजल को तरसते हैं बाहर से आने वाले लोग

संवाददाता- सिद्धार्थ नगर. यदि आप जिलाधिकारी कार्यालय आ रहे तो पीने के लिए साफ शुद्ध पानी अपने घर से लेकर आइये..! क्योंकि जिलाधिकारी कार्यालय में आपको इस तपती दुपहरी मे ठंढे पानी के लिए तरस जाना पड़ेगा.
चिल चिलाती धूप में फरियादी गाँव गिराव से चलकर हाकिम के कार्यालय में पहुचते पहुचते गला सूख जाता हैं ऐसे मे उसकी पहली तलाश एक घुट ठंड़े पानी की होती हैं. विवशता देखिए लोगों को पेट भर भोजन कराने वाला अन्नदान एक गिलास पानी के लिए दौड़कर कार्यालय के प्रांगण के कैन्टीन तक पहुंचता हैं लेकिन उसके हाथ लगने वाला है वही नल का दूषित जल....या वह अपनी जेब से कुछ खरीद कर कैन्टीन मे कुछ ले तब उसे शुद्ध पानी मिल सकता है .
यहां फरियादी ही नहीं विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को भीं पानी की खाली बोतल लिए भूतल पर एक कार्यालय के भीतर लगे छोटे से वाटर कूलर से पानी लेकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं .
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ऐसे में जनपद में आम आदमी के लिए शुद्ध पेयजल का सपना देखना बेमानी हैं. अधिकतर कार्यालयों मे डिब्बा भर कर पीने का पानी पानी बेचने वाले लाकर दे जाते हैं. कभी कभी डिब्बा वाला पानी नहीं आता है या समाप्त हो जाता हैं तो कार्यालय के कर्मचारी इधर उधर से पानी बोतल भरकर ले जाते देखे जा सकते हैं .
ऐसे मे फरियादियों को पानी मिलने ने ना मिलने की चिंता कौन करे. ऐसे में गरीब फरियादी या तो गुणवत्ता विहीन दूषित जल पीकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं या तो किसी कार्यालय में पानी की फरियाद करे.
जिलाधिकारी कार्यालय के पुराने कर्मचारियों का कहना है कि लगभग 3 वर्ष पहले कार्यालय के भीतर यह लगभग 3 वाटर बड़े कूलर लगे थे जिससे लोगों को शुद्ध पानी मिल जाता है ध् इससे कार्यालय के कर्मचारियों कर्मचारियों के साथ फरियादी यों को भीं शुद्ध पेयजल मिल जाता था. लेकिन इस वर्ष एक भीं वाटर कूलर नहीं दिख रहा है चकबंदी कार्यालय के बगल लगा हुआ एक वाटर कूलर भीं महीनो से खराब है.
जब मौसम का मिजाज गर्म है आसमान से आग बरस रहा हैं.सूर्योदय से कुछ घंटों के बाद से सूर्यास्त तक लगभग 43 डिग्री तापमान ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. ऐसे में फरियादियों से लेकर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को शुद्ध पेयजल के संकट से जूझना पड़ रहा हो तो समझ जा सकता है कि जनपद में योजनाओं को क्रियान्वित करने वाले कार्यालयों में जब पेयजल आपूर्ति की यह व्यवस्था है तो जनपद में शुद्ध पेयजल कहा और कितने लोगों को मयस्सर हो रहा होगा.
बहरहाल जब जगह जगह लोग प्याऊ की व्यवस्था कर लोगों की प्यास बुझाने के लिए तत्पर हैं तो ऐसे समय में जिम्मेदारों का पानी मर जाना उनकी अंतरात्मा से क्या सवाल नहीं करता है..? रहीम दास ने कहा है कि रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न . कवि दुष्यंत कुमार ने ठीक ही कहा था ‘ यहां तक आते-आते सूख जाती हैं सभी नदियां, मुझे मालूम है, पानी कहा ठहरा हुआ होगा. जब डीएम कार्यालय की यह हालत है तो बाकी समझा जा सकता है.