प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी
9 दिवसीय पंचकुण्डीय श्री रुद्र महायज्ञ

कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द के साथ मनाया गया. श्रद्धालु भक्तजनों ने श्रीकृष्ण के दर्शन कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया. ‘‘नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा, पालकी’’ के बीच गुब्बारे उडाकर मिठाई का वितरण हुआ. अवतार कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सृष्टि में जब पापाचार, दुराचार बढ जाता है तो परमात्मा विविध रूप धारण कर नर लीला करते हुये पृथ्वी को पाप से मुक्त करते हुये सदाचरण सिखाते हैं. प्रत्येक अवतार के पीछे लोक मंगल की कामना छिपी है. ईश्वर भक्तों की सुख शांति के लिये स्वयं कितना कष्ट भोगते हैं यह भक्त ही जानते हैं. महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे भी तारते हैं. उन्हें सत्ता नहीं संत और सहजता प्रिय है. रावण का बध कर श्रीराम चन्द्र ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और कन्हैया ने कंस का बध कर राज्य उग्रसेन को दे दिया.
महात्मा जी ने कहा कि जीवन कर्म भूमि है और उसका उचित अनुचित फल भोगना पड़ता है. जीवन को जितना सहज बनाकर प्रभु को अपर्ण करेंगे जीवन में उतनी ही शांति मिलेगी.
पंचकुण्डीय श्री रुद्र महायज्ञ के लिए वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उमाकान्त वैदिक आचार्य एवं आचार्य विवेक त्रिपाठी ने विधि विधान से पूजन कराया. मुख्य रूप से संतोष पाण्डेय, राजेन्द्र तिवारी, विकास त्रिपाठी, प्रमोद पाण्डेय, वरूण शुक्ल, शुभम मिश्र, शिवेन्द्र, विशाल, अरविन्द त्रिपाठी, धीरेन्द्र शुक्ल, अनूप श्रीवास्तव, पुष्पांग उपाध्याय, हिमांशु शुक्ल, आकाश यादव, प्रांजल उपाध्याय, राजेश उपाध्याय, मानवेन्द्र मिश्र के साथ सनातन धर्म चेतना चैरिटेेबल ट्रस्ट व जीएमसी ग्रुप के अनेक लोग शामिल रहे.