सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा: भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण - स्वामी राघवाचार्य

कथा व्यास ने कहा कि, भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है. भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है. भागवत की महिमा सुनाते हुए महात्मा जी ने कहा कि, एक बार नारद जी ने चारों धाम की यात्रा की, लेकिन उनके मन को शांति नहीं हुई. नारद जी वृंदावन धाम की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती की गोद में दो बुजुर्ग लेटे हुए थे, जो अचेत थे. युवती बोली महाराज मेरा नाम भक्ति है. यह दोनों मेरे पुत्र हैं, जिनके नाम ज्ञान और वैराग्य है. यह वृंदावन में दर्शन करने जा रहे थे. लेकिन बृज में प्रवेश करते ही यह दोनों अचेत हो गए. बूढे हो गए. आप इन्हें जगा दीजिए. इसके बाद देवर्षि नारद जी ने चारों वेद, छहों शास्त्र और 18 पुराण व गीता पाठ भी सुना दिया. लेकिन वह नहीं जागे. नारद ने यह समस्या मुनियों के समक्ष रखी. ज्ञान, वैराग्य को जगाने का उपाय पूछा. मुनियों के बताने पर नारद जी ने हरिद्वार धाम में आनंद नामक तट पर भागवत कथा का आयोजन किया. मुनि कथा व्यास और नारद जी मुख्य परीक्षित बने. इससे ज्ञान और वैराग्य प्रथम दिवस की ही कथा सुनकर जाग गए. उन्होंने कहा कि, गलती करने के बाद क्षमा मांगना मनुष्य का गुण है, लेकिन जो दूसरे की गलती को बिना द्वेष के क्षमा कर दे, वो मनुष्य महात्मा होता है. जिसके जीवन में श्रीमद्भागवत की बूंद पड़ी, उसके हृदय में आनंद ही आनंद होता है. भागवत को आत्मसात करने से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा हो सकती है. भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं, वह हम सबके हृदय में मौजूद हैं.
कथा व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति किया. हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया. इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया. भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए. परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है.
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भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल , माता श्यामा देवी ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया. मुख्य रूप से सांसद हरीश द्विवेदी क्षेत्रीय मंत्री पी एन पाठक, विनोद शुक्ल, रविन्द्र गौतम, प्रत्युष विक्रम सिंह, अरविंद श्रीवास्तव, आर. के. पाण्डेय, सुधाकर पाण्डेय, ब्रह्मानंद शुक्ल, अखण्ड प्रताप सिंह, जान पाण्डेय, अवनीश शुक्ल, सतीश सोनकर, चंद्र शेखर ‘मुन्ना’, गिरीश पाण्डेय के साथ श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे.