Bhartiya Basti Sthapana Diwas: विश्वास के 42 साल
हम ऐसे समय में सांस ले रहे हैं जब जीवित रह लेने की चुनौतियों से समाज का बडा वर्ग संघर्षरत है. कोरोना संकट के मुश्किलों का प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है और कागज पर छपने वाले अखबार उससे अछूते नहीं है.
हम ऐसे समय में सांस ले रहे हैं जब जीवित रह लेने की चुनौतियों से समाज का बडा वर्ग संघर्षरत है. कोरोना संकट के मुश्किलों का प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है और कागज पर छपने वाले अखबार उससे अछूते नहीं है. पिछले दो वर्षो में हमने कोरोना के चलते अनेक यशस्वी पत्रकारों को खो दिया. अखबार समाज की ताकत पर चलते हैं इसे कोरोना काल ने बखूबी सिद्ध कर दिया. विश्वास नहीं होता कि बस्ती मण्डल मुख्यालय से प्रकाशित भारतीय बस्ती ने प्रकाशन यात्रा के 42 वर्ष पूरे कर लिये. भारतीय बस्ती डॉट कॉम और यू ट्यूब पर त्वरित खबरों के प्रेषण से समाचार प्रस्तुति के नये संसार में हमें पाठकों, श्रोताओं, दर्शकों का जो समर्थन मिल रहा है वह हमारी पूंजी है.
फैजाबाद संस्करण भी निरन्तर गतिमान है. अनेक कठिन मोर्चो पर संस्थापक सम्पादक श्री दिनेश चन्द्र पाण्डेय का मार्ग दर्शन भारतीय बस्ती समूह के लिये बड़ी प्रेरणा है. कठिन समय में जिस प्रकार से पाठकों का स्नेह और सहयोग मिला है इस भरोसे पर हम कह सकते हैं कि भारतीय बस्ती संस्थान आने वाले दिनों में समाचार एजेन्सी आवाज भारती को भी और गतिशील करेगा. जब अंधेरा ज्यादा घना हो तो समझ लेना चाहिये कि रोशनी भी कहीं आस पास है. जीवन तब भी था जब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं होता था किन्तु उस जीवन में सूचना संसार का वह विस्तार नहीं था. इन दिनों प्रायः कहा जा रहा है कि कागज पर छपने वाले अखबारों का भविष्य लम्बा नहीं है. प्रत्येक माध्यम के अपने गुण दोष है. मेरा मानना है कि कोई माध्यम बुरा नहीं होता.
यदि आप समाज की जरूरत है तो समय का कोई भी काल खण्ड आपके महत्व को खारिज नहीं कर सकता. भारतीय बस्ती डाट काम को नये तेवर में संजाया संवारा गया है और सोशल मीडिया के विभिन्न उपक्रमों पर भारतीय बस्ती की उपस्थिति ने उसे विश्व व्यापी बना दिया है. विशेषकर विदेशों में बसे पूर्वान्चल वासियों का जो स्नेह प्राप्त हो रहा है वह संकेत है कि हमारा प्रयास होगा कि सभी माध्यमों के द्वारा हमारी आप तक पहुंच हो.